मुगल बादशाह औरंगजेब की क्रूरता के किस्से इतिहास में मशहूर हैं। उसने सत्ता पाने के लिए अपने भाइयों की बेरहमी से हत्या कर दी और उसके बड़े बेटे को भी उसकी ज्यादतियों के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी। लेकिन आज हम औरंगजेब के उस भाई के बारे में बात करेंगे, जो उसके खूनी इरादों से बच निकला।
औरंगजेब के उस भाई का नाम मिर्जा शाह शुजा था। शाह शुजा मुगल बादशाह शाहजहाँ के पुत्र और औरंगजेब के भाई थे। वे बंगाल और ओडिशा के सूबेदार रह चुके थे और एक कुशल प्रशासक माने जाते थे। जब औरंगजेब ने सत्ता के लिए अपने भाइयों के खिलाफ युद्ध छेड़ा, तो शुजा ने उसका मुकाबला करने की कोशिश की। 1659 में खजवा के युद्ध में औरंगजेब ने शुजा को हरा दिया, जिसके बाद उसे अपनी जान बचाने के लिए भागने पर मजबूर होना पड़ा।
शुजा बंगाल होते हुए म्यांमार के अराकान राज्य पहुँचे। वे अपने साथ लगभग 200 सैनिक, अपनी पत्नियाँ, बेटियाँ और कुछ भरोसेमंद लोग ले गए। इतिहासकारों के अनुसार, शुजा अपने साथ भारी मात्रा में धन और बहुमूल्य वस्तुएँ भी ले गया, जिनमें सोना, जवाहरात और अन्य खज़ाने शामिल थे।
शुजा ने अराकान के राजा सांदा थुदम्मा की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया। उसने राजा से वादा किया कि अगर उसे मक्का जाने के लिए जहाज़ मुहैया कराया जाए, तो वह बदले में बहुत सारा धन देगा। लेकिन सांदा थुदम्मा ने शुजा को न तो जहाज़ दिया और न ही सुरक्षित रास्ता। कई महीनों तक इंतज़ार करने के बाद, शुजा ने राजा के विरुद्ध विद्रोह की योजना बनाई।
शुजा ने अपने सैनिकों के साथ सांदा थुदम्मा को उखाड़ फेंकने की कोशिश की, लेकिन योजना विफल रही। क्रोधित राजा ने शुजा को पराजित कर उसकी हत्या कर दी। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह घटना 1660 या 1661 में हुई थी।
अराकान के राजा ने शुजा के पुत्रों को अपने दरबार में सेवक बना लिया और मुग़ल राजकुमारियों को अपने हरम में शामिल कर लिया। बाद में, संभावित विद्रोह के डर से, राजा ने शुजा के पुत्रों और अन्य पुरुष रिश्तेदारों को मार डाला। मुग़ल राजकुमारियों के साथ भी क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया। कहा जाता है कि उन्हें भूखा रखा गया और यातना देकर मार डाला गया।