4 अक्टूबर को मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के बाद आयोग कभी भी कर देगा चुनावी तारीखों का ऐलान, ताबड़तोड़ लेना पड़ रहे हैं फैसले
भोपाल । धड़ाधड़ मुख्यमंत्री द्वारा लोकलुभावनी घोषणाएं की जा रही है, जिसके चलते संबंधित विभागों की मुसीबत उन घोषणाओं को अमल में लाने और अभी तात्कालिक बजट की जुगाड़ कनरे की है। वैसे भी अब 30 दिन का समय ही शिवराज सरकार के पास बचा है और आचार संहिता लगने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। भारत निर्वाचन आयोग ने अभी भोपाल आकर तीन दिन तक चुनावी तैयारियों की समीक्षा की और समय पर ही चुनाव करवाने की बात भी कही है। दरअसल 4 अक्टूबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन हो जाएगा और उसके बाद फिर किसी भी दिन आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर 5 राज्यों के चुनाव की तारीखों का ऐलान कर देगा और उसके साथ ही आचार संहिता लागू हो जाएगी। पूरी सरकारी मशीनरी भी आचार संहिता का इंतजार कर रही है
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ताकि चुनाव से पहले आने वाले राजनीतिक दबावों से मुक्ति मिल सके।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने जन्माष्टमी के अवसर पर अपने निवास पर पत्रकार समागम का भी आयोजन किया। पहली बार प्रदेशभर के पत्रकार बुलाए गए और 700 से अधिक पत्रकार इस अवसर पर मौजूद रहे और मुख्यमंत्री ने भी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने से लेकर कई घोषणाएं कर दी। वैसे भी इन दिनों मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान दोनों हाथों को उठाकर धड़ाधड़ घोषणाएं कर रहे हैं और दूसरी तरफ सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता जा रहा है और हर महीने कर्जा लेकर कई घोषणाओं की पूर्ति करना पड़ रही है। कई विभागों की तो चिंता यह है कि बजट से ज्यादा घोषणाएं कर दी गई हैं। उनकी पूर्ति कैसे की जाएगी?
कई विभागों के बजट को घोषणाओं के चलते अन्य विभागों में शिफ्ट भी किया जा रहा है, तो अभी बारिश के कारण प्रदेशभर की सडक़ों पर गड्ढे भी हो गए हैं। उन्हें भरने के लिए भी 1200 करोड़ रुपए से अधिक की राशि कायाकल्प और अन्य योजनाओं के लिए लोक निर्माण विभाग, नगरीय विकास एवं आवास सहित अन्य विभागों को जारी किए गए हैं। इतना ही नहीं, टेंडर बुलाने की जो न्यूनतम 30 दिन की अनिवार्य अवधि है उसे भी घटाकर अब 10 दिन कर दिया है और यह छूट 15 अक्टूबर तक जारी किए गए टेंडरों पर लागू होगी। चुनाव से पहले अधिक से अधिक सडक़ों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के काम तेजी से पूरे कराए जा सकें उसके चलते नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय ने ये आदेश जारी किए हैं। बारिश के कारण कई सडक़ें खराब हो गई है, जिनकी मरम्मत की जाना है, तो कई नई सडक़ों के काम भी शुरू होना है। हर महीने लाडली बहना योजना के लिए ही 1200 करोड़ रुपए से अधिक की राशि बैंकों में जमा करनी पड़ती है, ताकि सवा करोड़ खातों में हजार रुपए और अब बढ़ाए गए 250 रुपए भी पहुंच सकें। दूसरी तरफ चुनाव आयोग के निर्देश पर मतदाता सूची के पुनरीक्षण का अभियान इंदौर सहित प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चल रहा है।
दावे-आपत्ति की तारीख भी बढ़ाकर 11 सितम्बर कर दी है। वहीं युवा नए मतदाताओं के नाम भी जुड़वाए जा रहे हैं। आयोग के निर्देश पर प्रदेशभर में जागरूकता अभियान भी चल रहा है और चार अक्टूबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन कर दिया जाएगा, जिसके आधार पर चुनाव होना है। लिहाजा अब मतदाता सूची के प्रकाशन के तुरंत बाद यानी 5 से 10 अक्टूबर के बीच किसी भी दिन आयोग चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है। मध्यप्रदेश सहित 5 राज्यों में ये चुनाव होना है और मध्यप्रदेश में इस बार के चुनाव काफी कश्मकश वाले बताए जा रहे हैं और पूरी सरकारी मशीनरी की निगाहें भी इस चुनाव पर टिकी है और 30 दिन का ही बमुश्किल समय अब शिवराज सरकार के पास बचा है, जिसमें धड़ाधड़ घोषणाएं, लोकार्पण, भूमिपूजन, शिलान्यास से लेकर अन्य तमाम आयोजन किए जा रहे हैं।