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मराठा आरक्षण पर शिवबा संगठन अध्यक्ष पाटिल का निर्जल भूख हड़ताल
-समर्थकों की अपील पर सोमवार को पिया था जल
जालना । मराठा आरक्षण को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के आठवें दिन बुधवार को शिवबा संगठन के अध्यक्ष मनोज जारांगे-पाटिल फिर से पानी पीना छोड़ दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उल्लेखनीय है कि बिगड़ते स्वास्थ्य पर समर्थकों की अपील के बाद सोमवार से वे फिर पानी पीने लगे थे। बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण उन्होंने अंतरावली-सरती गांव और आसपास के गांव के लोगों की अपील के आगे झुकते हुए उन्होंने सोमवार को पानी पीना शुरू कर दिया था।
एक दिन बाद उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के 12वें प्रत्यक्ष वंशज - छत्रपति श्रीमंत शाहू महाराज से एक गिलास पानी भी स्वीकार किया - लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि 1 नवंबर से पहले मराठा कोटा की घोषणा नहीं की गई, तो वह फिर से पानी छोड़ देंगे। इस दौरान पाटिल ने कसम खाई कि वह तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक कुनबी जाति के तहत मराठा समुदाय को पूर्ण आरक्षण नहीं दिया जाता, जिसके लिए वह 29 अगस्त से ही आंदोलन कर रहे हैं। पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों को दस्तावेजी सबूत होने के बावजूद हमें आरक्षण से वंचित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस मुद्दे पर और अधिक मोहलत मांगकर समय बर्बाद करने की कोशिश कर रही है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और अजीत पवार को अपने कृत्यों का परिणाम भुगतना होगा। आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई में सुबह सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें 32 शीर्ष नेता मौजूद थे। बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव अपनाया गया, जिसमें घोषणा की गई कि मराठा समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा, लेकिन सरकार को कानूनी दांव-पेचों को सुलझाने और यह सुनिश्चित करने के लिए समय चाहिए। शिंदे ने ओबीसी की आशंकाओं को दूर करते हुए आश्वस्त किया कि मराठा कोटा किसी अन्य समुदाय को उपलब्ध आरक्षण से छेड़छाड़ किए बिना दिया जाएगा।
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