- मूलभूत सुविधाऐं नहीं होने से शेरपुर गांव के नागरिक चुनाव का कर सकते हैं बहिष्कार

मूलभूत सुविधाऐं नहीं होने से शेरपुर गांव के नागरिक चुनाव का कर सकते हैं बहिष्कार

-आज़ादी के बाद से अभी तक नहीं बनी महूरीपुरा गांव की सड़क
भिण्ड। गोहद क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव ऐसा भी है जहां पर आजादी के बाद से अब तक मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। न तो गांव में पक्की सड़क है और न ही अन्य सुविधाऐं मुहैया कराई गई हैं। जिसके चलते अब ग्रामीणों ने 17 नवंबर को होने वाले विधान सभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार भी करने पर विचार कर रहे हैं। जन प्रतिनिधियों के द्वारा क्षेत्र की जनता के हित में काम न करने से इस तरह की परिस्थितियां उत्पन्न हो रही हैं।
उल्लेखनीय है कि गोहद विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत शेरपुर के मजरा महूरी का पुरा जो कि अनुसूचित जाति बाहुल्य गांव है। यहां पर आजादी से लेकर अभी तक गांव में सड़क, स्कूल, श्मशान घाट जैसी मूलभुत सुविधाएं नहीं हैं। ग्रामीण बरसात के समय दलदल कीचड़ के बीच से निकलने को मजबूर होते हैं, मिडिल स्कूल न होने से छात्र छात्राओं को शेरपुर गांव कच्चे एवं झाड़ियों बाले रास्ते से जाना पड़ता है। इस बात की शिकायत ग्रामीणों के द्वारा पूर्व में तहसीलदार से लेकर मुख्यमंत्री तक से की जा चुकी है। एक बार विधानसभा चुनाव एवं पंचायत चुनाव में ग्रामीणों ने बहिष्कार भी किया था लेकिन अभी तक श्मशान तक जाने का रास्ता, गांव की सड़क, मिडिल स्कूल की सुविधा आदि नहीं की गई है। ग्रामीणों के द्वारा बताया गया है कि आगामी  विधानसभा चुनाव 2023 में भी मतदान न करने का ग्रामीणों के द्वारा सामूहिक रूप से वे मन बना चुके हैं। ज्ञात हो कि गोहद विधान सभा से पूर्व में कई मंत्री भी बन चुके हैं लेकिन शेरपुर गांव के ग्रामीणों के उत्थान के लिए अभी तक किसी ने कोई काम नहीं किया है। आलम ये है कि बरसात के समय अगर कोई गांव में बीमार हो जाए तो उसे प्राथमिक उपचार भी मयस्सर नहीं हो पाता है। ग्रामीणों का जीवन बद्तर होता जा रहा है। 
सिर्फ वोट मांगने आते हंै नेताजी
शेरपुर गांव के ग्रामीणों ने कहा है कि जब चुनाव होते हैं तभी नेताजी गांव में वोट मांगने के लिए आते हैं। चुनाव जीतने के बाद किसी भी जन प्रतिनिधि के द्वारा गांव के विकास के लिए अब तक कुछ नहीं किया गया है। मानवीय आधार पर ही सही ग्रामीणों की बद्तर स्थिति को सुधारने के लिए मूलभूत सुविधाऐं तो देना ही चाहिए। जबकि सर्वाधिक मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों से ही आते हैं फिर भी ग्रामीण हमेशा छले जाते हैं। 
इनका कहना है :
महूरी का पुरा गांव शेरपुर पंचायत का मजरा है जहां अभी तक न तो सड़क है न मिडिल स्कूल है और न ही श्मशान तक जाने का रास्ता है। ग्रामीणों के द्वारा इसकी शिकायत मंत्री और मुख्यमंत्री से भी की जा चुकी है लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। इसलिए सभी ग्रामीण मिलकर चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं ।
सतेन्द्र सिंह, ग्रामीण। 

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