पटना। बिहार की राजनीति अब कर्मचारियों और व्यापारियों के आसपास घूमती दिखने लगी है। राज्य का मुख्य विपक्षी दल भाजपा कर्मचारियों के मुद्दों को लेकर लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर है। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी ने नवनियुक्त शिक्षकों के बहाने बिहार सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने गुस्से में कई उदाहरण देते हुए यहां तक कह दिया है कि ये आपातकाल नहीं तो और क्या है?दरअसल हुआ ये है कि भाजपा आरोप लगा रही है कि राज्य की नीतीश सरकार नवनियुक्त शिक्षकों को अपना संघ या मंच बनाने से रोक रही है। इस पर सुशील मोदी का कहना है कि ये लोकतंत्र को कुचलने का एक तरीका है। बिहार सरकार निरंकुश हो रही है और लोगों के अधिकारों दबाने का काम काम कर रही है। सुशील मोदी ने बयान जारी कर कहा कि बीपीएससी के शिक्षक अभ्यर्थियों और नवनियुक्त शिक्षकों के लोकतंत्रिक अधिकार कुचले जा रहे हैं,
कल अन्य कर्मचारियों पर यही सख्ती होगी और फिर विपक्ष की आवाज दबाई जाएगी। उन्होंने कहा कि बीपीएससी नवनियुक्त शिक्षक संघ गठित करने के आरोप में मधुबनी की शिक्षिका बबीता चौरसिया की नियुक्ति आनन-फानन में रद्द करना अतिपिछड़ा समाज का अपमान है। सरकार को यह आदेश वापस लेना चाहिए। भाजपा सांसद ने कहा कि नीतीश सरकार ने यूट्यूबर पत्रकार मनीष कश्यप को फर्जी मामले में गिरफ्तार कर पहले ही अपना तानाशाही चेहरा दिखा दिया था। मीडिया पर भी सरकार विरोधी सामग्री न छापने का दबाव बढ़ता जा रहा है और अब इनके निशाने पर हैं युवा शिक्षक हैं।
उन्होंने कहा कि जो सरकार बालू-शराब माफिया के आगे घुटने टेक चुकी है, वह आयोग की शिक्षक भर्ती परीक्षा पर सवाल उठाने वाले करीब छह युवा अभ्यर्थियों को नोटिस देकर उन्हें डराना चाहती है। मोदी ने चुनौती देते हुए कहा कि शिक्षक अभ्यर्थियों के नाम-फोटो सार्वजनिक करने वाली सरकार में यदि हिम्मत है, तो वह जमुई में दारोगा की हत्या के आरोपितों के नाम भी फोटो के साथ सार्वजनिक करे। उन्होंने कहा कि जब आपातकाल का विरोध करने वाले लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ही आपातकाल थोपने वाली कांग्रेस की गोद में चले गए हैं, तो वे लोकतंत्र का गला ही दबाएंगे।