नई दिल्ली । उत्तराखंड में ढही सुरंग के अंदर फंसे सभी मजदूरों को 17 दिनों बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। अब लेकिन हादसे के कारणों को ढूंढा जा रहा है। केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सुरंग के सुरक्षा ऑडिट की जरुरत है। ताकि पता चल सके कि आखिर ऐसी चूक कहां पर हुई।
वहीं 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के बाद से ही सिल्क्यारा से लेकर देहरादून, देहरादून से लेकर दिल्ली, दिल्ली से लेकर सुरंग में फंसे मजदूरों के देश के अलग-अलग प्रांतों में स्थित घरों तक उत्साह और उल्लास का माहौल है। दुरुह बचाव कार्य को अंजाम देने के बाद अब इस बात पर सरकार का ध्यान है कि सुरंग ढहने का कारण क्या था, और बचाव कार्य में इतना समय क्यों लगा। उत्तरकाशी से लगभग 30 किमी दूर स्थित, सिल्क्यारा सुरंग केंद्र सरकार की चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना का एक अभिन्न अंग है, जो नाजुक हिमालयी इलाके में लगभग 889 किलोमीटर तक फैलेगी। सुरंग बनाने की परियोजना हैदराबाद स्थित नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा की जा रही है, जिसने पहले भी ऐसी परियोजनाओं को पूरा किया है।
श्रमिकों के सुरक्षित होने के साथ अब सरकार का ध्यान इस इस ओर है कि सुरंग ढहने का कारण क्या था। यह घटना पहाड़ी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विकास के खतरों को भी उजागर करती है जो भूकंपीय और भूस्खलन की संभावना वाला है। बड़ी परियोजनाओं को पर्यावरणीय प्रभाव आकलन से गुजरना आवश्यक है, सिल्कयारा सुरंग को छूट दी गई थी क्योंकि इसे 100 किमी से छोटे खंडों में विभाजित किया गया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में एक विशेषज्ञ पैनल से जोखिम कम करने के विकल्प ढूंढने को कहा है। समिति ने कई समस्याओं की पहचान की। वहीं केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह पहली बार है जब ऐसी दुर्घटना हुई है। हम सुरंग का सुरक्षा ऑडिट करके यह भी अध्ययन करेंगे कि हम कैसे बेहतर तकनीक का उपयोग कर सकते हैं।