- विज्ञापनों में हमेशा सीएम या पीएम की तस्वीर होती है दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों कहा ऐसा

विज्ञापनों में हमेशा सीएम या पीएम की तस्वीर होती है दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों कहा ऐसा


नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा अगर कोई कल्याणकारी योजना है, तो क्या उस योजना को लोकप्रिय नहीं बनाया जाना चाहिए? विज्ञापनों में हमेशा मुख्यमंत्रियों या प्रधानमंत्री की तस्वीरें होती है। केंद्र सरकार द्वारा कथित तौर पर सिविल सेवकों और रक्षा कर्मियों के माध्यम से अपनी योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के निर्णय को चुनौती मुद्दे पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया योजनाओं को लोकप्रिय बनाने में कुछ भी गलत नहीं लगता है। कोर्ट ने केवल पिछले 9 सालों की योजनाओं पर प्रकाश डालने पर कहा कि हर व्यक्ति सरकार की नवीनतम योजनाओं से अवगत होना चाहता है

विज्ञापनों में हमेशा CM या PM की तस्वीर होती है... दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों  कहा ऐसा? | Delhi High Court asks If welfare scheme is there should not it  be popularised |

ऐसा नहीं है कि कोई यह जानना चाहता है कि 50 साल पहले क्या हुआ था, इसके लिए प्रधानमंत्री का संग्रहालय है। इस जनहित याचिका में सिविल सेवाओं और सशस्त्र बलों को सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के हथियार के रूप में इस्तेमाल होने से बचाने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत देश के लोगों के मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग की गई है। दरअसल, सेल्फी प्वाइंट पर प्रधानमंत्री की तस्वीरों के इस्तेमाल को लेकर याचिकाकर्ताओं की आपत्ति है। इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मिनी पुष्करणा की पीठ कर रही है। याचिका को ईएएस सरमा और जगदीप एस छोकर ने दायर किया है। 

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याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील देने वाले वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट के सामने कहा कि सरकार की ओर से कई सेल्फी पॉइंट बनाए जा रहे हैं और सिविल सेवकों और रक्षा कर्मियों का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं और नीतियों के प्रचार के लिए किया जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने जनहित याचिका का विरोध किया और कहा कि सरकार और पार्टी अलग-अलग चीजें हैं। यह प्योर सरकार है और सरकार को इसकी इजाजत है। हम नौ साल का ब्योरा लेंगे। हाईकोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद एएसजी शर्मा से पिछले नौ वर्षों में किए गए कार्यों को प्रचारित करने का डिटेल मांगी।
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