लखनऊ,। चार राज्यों में कांग्रेस को चुनावी हार मिलने के बाद गठबंधन के दलों ने आंखे दिखाना शुरु कर दिया है। इसके संकेत 6 दिसंबर को होने वाली इंडिया गठबंधन के बैठक से दूरी बनाकर दिया है। सबसे पहले टीएमसी प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में शामिल होने से इंकार किया,फिर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने साफ कर दिया कि उन्हे इस बैठक में शामिल होने की जल्दी नहीं है। भले ही दोनों दलों को लग रहा हो कि कांग्रेस कमजोर हो रही लेकिन सपा और टीएमसी को नहीं मालूम की आज भी कांग्रेस का अपना बड़ा वोट बैंक है।
तीन राज्यों में चुनाव हारने के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को रिवाइव करने की कोशिशें को झटका लगा है। सपा और बसपा जैसी पार्टियां कांग्रेस को बहुत ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं हैं। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ताओं ने कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में ज्यादा सीटों की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। वहीं, ममता बनर्जी ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा कि मुझे इंडिया गठबंधन की बैठक के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
किसी ने मुझे इस बैठक के बारे में नहीं बताया और ना ही इस संबंध में मुझे कॉल कर सूचित किया गया। उत्तरी बंगाल में मेरा 6 से 7 दिन का कार्यक्रम है। मैंने अन्य योजनाएं भी बनाई हैं। अगर अब वे मुझे बैठक के लिए बुलाते हैं, तो मैं अपनी योजनाएं कैसे बदल सकती हूं। सूत्रों के मुताबिक 6 दिसंबर को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में अखिलेश यादव के शामिल होने पर संशय बरकरार है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अखिलेश इंडिया गठबंधन की इस बैठक में जाने की जल्दी में नहीं हैं और कांग्रेस के साथ रिश्ते सामान्य होने तक वह मीटिंग में जाने से परहेज कर सकते हैं।
उधर, यूपी में सपा की सहयोगी पार्टी अपना दल ने भी कांग्रेस की ओर से बुलाई गई इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। चर्चा है कि विपक्ष की इस बैठक में अखिलेश यादव का कोई प्रतिनिधि जरूर होगा। माना जा रहा है कि अगर अखिलेश नहीं गए, तो रामगोपाल यादव मीटिंग में समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। हालांकि सोमवार को अखिलेश ने कांग्रेस के साथ तल्खियों को कम करने की कोशिश की और वाराणसी में पत्रकारों से कहा कि चुनाव ख़त्म होते ही अब सब अहंकार खत्म हो गए। तापमान नीचे आ गया है।