नई दिल्ली । यदि महंत बालकनाथ राजस्थान के सीएम बनते हैं तो वे देश के चौथे भगवाधारी सीएम होंगे। हालांकि इससे पहले तीन भगवाधारी सीएम राज्यों में सबसे ऊंची लोकतांत्रिक कुर्सी पर बैठ चुके हैं। इसमें सबसे ज्यादा नाम कमाने वाले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ही है। जबकि फिलहाल राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल बाबा बालकनाथ का नाम इस समय खूब चर्चा में है। ये भी नाथ पंथ को ही मानने वाले संत के तौर पर जाने जाते हैं।
हालांकि उनके समर्थक उन्हें महंत के अलावा बाबा बालकनाथ भी कहते हैं। मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर बालक नाथ कहते हैं कि ये उनका विषय नहीं है लेकिन जिस तरह से वे राज्य को गैंगेस्टर मुक्त करने और जनता के साथ न्याय करने की बात करते हैं उससे कुछ संदेश जरुर मिलता है। भाजपा अगर उन्हें सीएमबनाती है तो वे ऐसे चौथे मुख्यमंत्री होंगे जो भगवा पहनते हों। इससे पहले योगी के अलावा साध्वी उमा भारती व एनटी रामाराव भी भगवा पहनकर कुर्सी पर बैठ चुके हैं। यह अस्सी के दशक की बात है जब नंदमुनि तारक रामाराव पूरी तरह से गेरुआ ही पहनने लगे थे। फिल्मों में धार्मिक देवताओं और मिथकीय चरित्र निभाने वाले रामराव ने संभवतः अपनी छवि कायम रखने के लिए ये बाना धरा था।
इसी तरह मप्र की सीएम रह चुकी उमा भारती पहली संन्यासी सीएम हैं। हालांकि रामाराव दीक्षित संत नहीं थे। दीक्षित संत उसे कहा जाता है जिसने संन्यास की दीक्षा ली हो। लेकिन साध्वी उमा भारती पहली दीक्षित संत थी। वह 2003 में मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि अगले ही साल हुबली मसले में अदालत से वारंट जारी होने पर इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद 2017 में योगी आदित्य नाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और अभी भी वे मुख्यमंत्री हैं।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी हमेशा गेरुआ पहनते थे, लेकिन उन्होंने मुख्यंमंत्री पद की कभी शपथ नहीं ली। ये जरूर रहा कि उनका आदेश मुख्यमंत्री से भी ऊपर माना और बरता जाता रहा। वैसे भी कथा कहानियों के मुताबिक भारत में राजतंत्र के दौरान संतो-महंतों का आशिर्वाद और आदेश राजाओं के लिए सर्वोपरि रहा। लेकिन आजादी के बाद खास तौर से पंडित जवाहर लाल नेहरु ने सत्ता को संतों-महंतों के आश्रम से बाहर खीचने की पुरजोर कोशिश रही थी।