जिनेवा । भारत ने खिलौने, केमिकल्स, आईटीसी (सूचना एवं संचार तकनीक) उत्पादों और वाहनों के कलपुर्जों सहित विभिन्न क्षेत्रों में लागू करने वाले गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों का विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में बचाव किया है। भारत सरकार का मानना है कि मानव, पशु एवं पौधों की सेहत की सुरक्षा तथा भ्रामक प्रथाओं की रोकथाम के लिए उत्पादों की गुणवत्ता के उपाय सुनिश्चित करना जरूरी है। अमेरिका, कनाडा, ताइवान, पेंघू, किनमेन और मात्सु ने बीते कई वर्षों में भारत के गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों पर पिछले साल चिंता जाहिर की थी। उन्होंने दावा किया कि भारत के बयान अक्सर सदस्यों द्वारा पूछे गए सवालों के अनुकूल नहीं होते हैं और इससे विशिष्ट व्यापार चिंता की सूची लगातार बढ़ती जा रही है।
डब्ल्यूटीओ के सदस्यों ने व्यापार में तकनीकी बाधाओ पर गठित समिति को दिए बयान में कहा है, ‘हमने देखा है कि 2019 से 19 सदस्यों ने भारत के समक्ष 35 व्यापार विशिष्ट चिंताओं (एसटीसी) को उठाया है। इनमें से एक-तिहाई से ज्यादा चिंताएं गुणवत्ता नियंत्रण आदेश से संबंधित थीं और दो-तिहाई से ज्यादा चिंताओं को सदस्यों ने एक से ज्यादा बार उठाया है। इन 35 चिंताओं में से आधे से ज्यादा मामलों को कम से कम तीन बार उठाया गया है। मई 2020 के बाद से व्यापार से संबंधित चिंताओं के मामले बढ़े हैं जो हरेक बैठकों में उठाए गए कुल मामलों का करीब 13 फीसदी है।
पिछले महीने समिति में प्रश्नों का व्यापक रूप से जवाब देकर भारत ने कहा कि उसने उठाए गए सभी एसटीसी के साथ ही तकनीकी बयानों में उल्लिखित मुद्दों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों स्तरों पर सकारात्मक तरीके से काम किया है और डब्ल्यूटीओ समितियों के साथ ही द्विपक्षीय स्तर पर इस पर बातचीत जारी रखने का उसका इरादा है।बयान में कहा गया, व्यापार में तकनीकी बाधाओं के समझौते के अनुरूप भारत उत्पादों की गुणवत्ता, मानव, पशु और पौधों के स्वास्थ्य एवं जीवन की सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, उपभोक्ताओं की सुरक्षा और भ्रामक प्रथाओं पर रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं की मान्यता पर सदस्य देशों ने भारत से भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से ऐसी मान्यता लेने के लिए प्रयोगशालाओं द्वारा उठाने वाले कदमों के संबंध में अधिक स्पष्टता और पारदर्शिता की मांग की। उन्होंने कहा, वर्तमान में जिन निर्यातकों के उत्पादों को पहले ही मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशालाओं द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है, उनकी शिकायत है कि इन प्रयोगशालाओं के नतीजे अनिवार्य पंजीकरण आदेश और दूरसंचार उपकरण के अनिवार्य परीक्षण एवं प्रमाणन योजना के अनुपालन में स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं।