मुंबई। सात माह की गर्भवती कैंसर पीड़ित महिला ने अदालत से अबॉर्शन की अनुमति मांगी है। तमाक जांच के बाद चिकित्सकों ने पाया कि महिला की जान को बहुत ज्यादा खतरा हो सकता है। ऐसे में अबॉर्शन करना ठीक नहीं होगा। बॉम्बे हाईकोर्ट को महिला के पति ने वकील कंचन पवार के जरिये बताया गया कि वे डॉक्टरों की समिति की राय को कबूल करते हैं और अबॉर्शन नहीं कराने का फैसला किया है। जजों ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में मरीज की जीवन की उम्मीद 3-6 महीने के बीच बताई गई है।
उसके संबंध में याचिकाकर्ता के वकील अपनी याचिका पर जोर नहीं दे रहे हैं। मेडिकल पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय तक महिला या उसके भ्रूण का जीवित रहना असंभव है। इस दंपति ने महिला की 26 हफ्ते की गर्भावस्था को खत्म करने की अनुमति देने के लिए पहले बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था।