नई दिल्ली । इन दिनों सर्दी के कारण तापमान लुढ़क रहा है, लेकिन बिहार का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। वजह है जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में चल रही हलचलें। दिल्ली में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी है और दिल्ली में होने जा रही बैठक की तपिश पटना तक महसूस हो रही है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का एजेंडा क्या है? इस लेकर कोई आधिकारिक जानकारी अभी सामने नहीं आई है, लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार का बयान आया है। नीतीश ने लल्लन को अध्यक्ष पद से हटाने और तमाम कयासों-अटकलों को लेकर सवाल के जवाब में कहा है कि यह रूटीन बैठक है। लेकिन सवाल यही है कि इस समय में जब देश लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है, विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से दो-दो हाथ करने की तैयारी में है, क्या जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली बैठक वास्तव में सामान्य बैठक है? ललन सिंह का सियासी भविष्य अब क्या होगा?
दरअसल, पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें आ रही थीं कि आरजेडी अब नीतीश को दिल्ली की सियासत में भेजकर सूबे की बागडोर तेजस्वी यादव को सौंप देना चाहती है। इस बीच इंडिया गठबंधन की दिल्ली में चौथी बैठक हुई, जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव रख दिया। इससे भी नीतीश नाराज बताए जा रहे थे कि जेडीयू विधायकों की सीक्रेट मीटिंग की खबरें आने लगीं। ललन सिंह की आरजेडी प्रमुख लालू यादव और तेजस्वी यादव के साथ करीबी के भी चर्चे होने लगी।
नीतीश कुमार जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह से खफा हैं, इसतरह के कयास बिहार के सियासी गलियारों में तैरने लगे। कोई ललन से नीतीश की नाराजगी के पीछे उनकी लालू परिवार से बढ़ी करीबी को वजह बताने लगा तब कोई ये कह रहा है कि इंडिया गठबंधन में जेडीयू का पक्ष मजबूती से रख पाने में विफलता इसकी वजह है। जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने हाल ही में नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन का संस्थापक बताया था। अब तर्क दिए जा रहे हैं कि ललन अगर इंडिया गठबंधन के मंच पर जेडीयू का पक्ष दमदारी से रखने में सफल रहते तब नीतीश कुमार या तब पीएम फेस घोषित हो चुके होते या फिर संयोजक के रूप में नजर आते। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ललन की आरजेडी से करीबी की चर्चा थी। नीतीश के साथ ही जेडीयू के तमाम सांसद-विधायक जहां अपने पुराने गठबंधन में सहयोगी रही बीजेपी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर सीधा हमला बोलने से बचते नजर आते हैं। वहीं, ललन सिंह संसद के भीतर और बाहर बीजेपी को लेकर काफी आक्रामक थे।
दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में भी जब ममता ने प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के नाम का प्रस्ताव रखा, तब भी ललन सिंह के मौन और नीतीश के साथ पटना लौटने की जगह उस दिन आना जिस दिन लालू और तेजस्वी लौटे, इस बात को भी नीतीश कुमार के खफा होने की वजह बताया जा रहा है। नाराजगी की अटकलों के बीच सीएम नीतीश ने दिल्ली से लौटने के बाद पटना स्थित ललन सिंह के आवास पहुंचकर उनसे मुलाकात भी की थी। सीएम नीतीश वहां करीब 10 मिनट रुके थे। ललन सिंह से मुलाकात के बाद नीतीश सीएम आवास लौट आए थे। तब इस तरह की चर्चा भी थी कि लालू परिवार से करीबी को लेकर नीतीश की नाराजगी देख राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहते हैं और उन्होंने जेडीयू अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश भी कर दी है।