नई दिल्ली । विकसित देशों में मुद्रास्फीति घटने, ब्याज दरें कम होने, वैश्विक मांग में धीरे-धीरे सुधार और अन्य कारकों से नया साल देश के निर्यात के लिए अच्छा रह सकता है। माना जा रहा है कि 224 में देश का कुल निर्यात 900 अरब डॉलर के आंकड़े से अधिक हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन वस्तुओं की तुलना में बेहतर रहेगा।
देश का कुल निर्यात 2024 में 900 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है। इसके 2023 में 764 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। माना जा रहा है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिरता, लातिनी अमेरिका और अफ्रीका जैसे नए बाजारों पर ध्यान, मोबाइल और ताजा फल जैसी नई वस्तुओं, ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से भी देश को निर्यात के मामले में नए साल में स्वस्थ वृद्धि दर्ज करने में मदद मिलेगी।
भू-राजनीतिक दबाव और महामारी के बाद चीन के धीमे पुनरुद्धार सहित विभिन्न चुनौतियों के कारण इस वर्ष निर्यात पर असर पड़ने के बावजूद भारत के वस्तुओं और सेवाओं के निर्यातकों ने विकसित के साथ विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अवसरों का लाभ उठाया। चालू वर्ष की शुरुआत निर्यात में गिरावट के साथ हुई। जून में निर्यात में 19 प्रतिशत की गिरावट आई। हालांकि, नवंबर, 2023 में निर्यात में गिरावट कम होकर 2.83 प्रतिशत रह गई।
- नये साल में शेयर बाजार में तेजी का सिलसिला जारी रहेगा
एक अधिकारी ने बताया कि वस्तुओं का निर्यात अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत बढ़ा है और यह रुख 2024 में भी जारी रहने की उम्मीद है। 2024 में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, वाहन और वाहन कलपुर्जों, उच्च प्रौद्योगिकी वाले उत्पाद, फार्मास्युटिकल्स, चिकित्सा और नैदानिक उपकरणों का निर्यात 2024 में और आगे बढ़ने की संभावना है। विशेषज्ञों ने वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए उत्पादों और नए गंतव्यों पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया है।