जैविक कृषि पर अंतर्राज्यीय सेमिनार संपन्न जौरा। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के बेइंतहा प्रयोग से हम जमीन की उर्वरकता के साथ लोगों की सेहत से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। हमने समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया तो कृषि के साथ लोगों की सेहत भी बर्बाद हो जाएगी। उपरोक्त उद्गार गांधीवादी विचारक एवं महात्मा गांधी सेवा आश्रम के अध्यक्ष पी.वी. राजगोपाल ने व्यक्त किये। वे आश्रम में आयोजित जैविक कृषि पर आयोजित अंतर्राज्यीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। सेमिनार में विषय को प्रस्तुति करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज के समय में जैविक कृषि के लिए भले ही चुनौतियों भरा हो लेकिन वह समय की आवश्यकता बन गई है सेमिनार में विचार व्यक्त करते हुए अमित कुमार जयपुर ने कहा कि जैविक कृषि को सामुदायिक आधार पर विकसित किया जा सकता है। इसी आधार पर जैविक उत्पादों की मार्केटिंग भी विकसित की जा सकती है। जैविक कृषि के प्रोत्साहन से अहिंसक पोषित समाज एवं उसे पर आधारित आर्थिक व्यवस्था को संबल दिया जा सकता है। सेमिनार में स्थानीय जैविक कृषक रामदीन त्यागी भटपुरा ने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि जैविक कृषि का एक व्यापक क्षेत्र है। जरूरत इसको विकसित कर उपभोक्ताओं के बीच अपनी साख बनाने की है। उन्होंने कहा कि सरकारी फरमानों के आधार पर एकदम संपूर्ण जैविक खेती संभव नहीं है। क्योंकि हम अपने आसपास के खेतों को रासायनिक खाद के प्रयोग से वर्जित नहीं कर सकते। जैविक खेती कर रहे हैं वह भी यदि जैविक खाद कहीं अन्यत्र से खरीद कर ला रहे हैं तो उसकी गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं इसलिए जैविक खेती के सफलता के लिए हमें स्वयं गोपालन एवं वर्मी कंपोस्ट जैसे खाद का उत्पादन खुद करना चाहिए जिससे हम कुछ लोगों को रोजगार दे सकें एवं जैविक खेती की गुणवत्ता भी सुधार सकेंगे। जैविक कृषि पर आयोजित सेमिनार में अरूण कुमार जयपुर ने कहा किसानों को उत्पादन के साथ-साथ जैविक उपभोक्ताओं का वर्ग तलाश करने में भी मेहनत करना पड़ेगी तभी जैविक कृषि का प्रयोग सफल हो सकता है सेमिनार में, प्रफुल्ल रामदीन त्यागी भटपुरा,भदौरिया,अमित कुमार विनोबा ग्यान मंदिर,डॉ अतुल भदोरिया कैलारस, हनुमान सहाय शर्मा जयपुर,नारायण सिंह,कमल किशोर, मुकेश आदिवासी,उमंग श्रीधर भोपाल,सुजाता वर्मा केरल, पप्पन कन्नाठी केरल आज ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव रखें। सेमिनार में पीवी राजगोपाल,जिलकार हैरिस,रनसिंह परमार,महेश दत्त मिश्र पूर्व विधायक जौरा, वरिष्ठ पत्रकार जगदीश शुक्ला विशेष रूप से उपस्थित रहे। समाज एवं देश के लिए कुछ कर रहा हूं या भाव जरूरी जैविक कृषि को सफल बनाने के लिए कृषकों को अपने सोच में परिवर्तन करना जरूरी है जैविक कृषि कृषक को अपने काम में इस बात का एहसास होना भी आवश्यक है कि मैं देश और समाज को स्वस्थ बनाने के लिए कुछ योगदान कर रहा हूं यह बात सेमिनार के समापन पर गांधी सेवा आश्रम के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने कही चर्चा में जिल्कार हैरिश कनाडा ने भी भाग लिया। महात्मा गांधी सेवा आश्रम की सचिव डॉ रमन सिंह परमार ने कई प्रदेशों से आए प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए आशा व्यक्त की के आज की सेमिनार के कुछ सार्थक परिणाम अवश्य सामने आएंगे इसको लेकर हम सभी को एक व्यापक रणनीति तैयार करना है जिससे जैविक कृषि एवं उसके उत्पादों के लिए एक उपभोक्ता वर्ग तैयार हो सके।