- आरजीपीवी के असिस्टेंट प्रोफेसर का बढ़ाया जाए वेतन भोपाल । मध्यप्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रतिनिधि मंडल ने आज प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में आरजीपीवी के रजिस्टार मोहन सेन को ज्ञापन सौंपकर संविदा पर कार्यरत प्राध्यापकों को 22 जुलाई को सामान्य प्रशासन विभाग की संविदा नीति के अनुसार वेतन दिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सहायक प्राध्यापकों का वेतन मध्यप्रदेश शासन में काम करने वाले भृत्य से भी कम है। वर्तमान में सीनियर भृत्य का वेतन 42000 रूपए बनता है, वहीं आरजीपीवी में इंजीनियरिंग और अन्य तकनीकी विषयों को पढ़ा रहे असिस्टेंट प्रोफेसर को 37500 रूपए वेतन दिया जा रहा है, ये पढ़े लिखे शिक्षित असिस्टेंट प्रोफेसरों का प्रदेश में अपमान है। जिस पर संज्ञान लेते हुए रजिस्टार सेन ने जल्द वेतन बढ़ाने का आश्वासन दिया है। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में पिछले 10 से 12 वर्षों में संविदा पर सहायक प्राध्यापक ( असिटेंट प्रोफेसर) कार्य कर रहे हैं, उनका वेतन मध्यप्रदेश शासन में कार्य करने वाले एक भृत्य से भी कम है। जबकि मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने 22 जुलाई को एक संविदा जारी की थी जिसमें निगम मंडल, विश्वविद्यालय, स्वशासी संस्थान, उपक्रम, शासकीय विभाग में कार्यरत अधिकारियों कर्मचारियों को जिस पद पर संविदा कर्मचारी कार्य कर रहे हैं, उस पद का न्यूनतम वेतन ग्रेड पे और वर्तमान महंगाई भत्ता मिलाकर एकजाई वेतन दिया जाने का नियम है। इसके साथ में अनुकम्पा नियुक्ति, ग्रेज्युटी, प्रसूती अवकाश और अन्य शासकीय अवकाश के प्रावधान किए गए हैं। जिसका पालन आरजीपीवी में नहीं किया जा रहा है। जिसे तत्काल लागू किया जाना चाहिए। रजिस्टार मोहन सेन ने प्रतिनिधि मंडल से कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा जारी की गई नीति का पालन होगा और आरजीपीवी के प्राध्यापकों का जो वेतन नहीं बढ़ा है उसके अनुसार बढ़ाया जाएगा।