जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं और उनके काम की तुलना में उन पर किए गए खर्च का आकलन करने का यह सही समय है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के जजों द्वारा अनावश्यक और बहुत बार ब्रेक लिए जाने का मुद्दा उठा।
नई दिल्ली। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के जजों द्वारा अनावश्यक और बहुत बार ब्रेक लिए जाने का मुद्दा उठा। इससे नाखुश सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि उनके प्रदर्शन का आकलन किया जाना चाहिए।
जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं और उनके काम की तुलना में उन पर किए गए खर्च का आकलन करने का यह सही समय है।
जस्टिस कांत ने कहा, "कुछ जज ऐसे भी हैं जो बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन साथ ही कुछ जज ऐसे भी हैं जो बेवजह बहुत ब्रेक लेते हैं; फिर लंच ब्रेक... हम हाई कोर्ट के जजों के बारे में बहुत सारी शिकायतें सुन रहे हैं। यह एक बड़ा मुद्दा है जिस पर गौर करने की जरूरत है। हाई कोर्ट के जजों का प्रदर्शन कैसा है? हम कितना खर्च कर रहे हैं और आउटपुट क्या है? अब उनके प्रदर्शन का आकलन करने का समय आ गया है।''
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जज की यह टिप्पणी चार लोगों की याचिका पर आई है, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि झारखंड हाई कोर्ट ने साल 2022 में दोषसिद्धि और आजीवन कारावास के खिलाफ अपील पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, लेकिन फैसला नहीं सुनाया गया।
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चारों की ओर से पेश वकील फौजिया शकील ने कहा कि मामले में सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बाद हाई कोर्ट ने 5 और 6 मई को उनके मामलों में फैसला सुनाया।
चारों में से तीन को बरी कर दिया गया, जबकि मामले में खंडित फैसला आया बाकी के मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भेजा गया, जहां से उन्हें जमानत भी मिल गई। शकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की वजह से ही चारों को "ताजी हवा में सांस लेने का मौका मिला है।" अगर हाई कोर्ट ने समय पर फैसला सुनाया होता तो वह तीन साल पहले ही जेल से रिहा हो गए होते।