मई में भारत के व्यापारिक निर्यात में गिरावट के बावजूद परिधान निर्यात में 11.35 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। अप्रैल-मई में यह बढ़ोतरी 12.80 फीसदी थी। निर्यातक इसे अमेरिका में चीन पर अधिक शुल्क और बांग्लादेश में तनाव का नतीजा मान रहे हैं। परिधान निर्यात बढ़ने से रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
तुलना में अमेरिका में भारतीय परिधानों पर कम शुल्क होने से भारत के लिए अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका है। नई दिल्ली। इस साल मई में भारत के व्यापारिक निर्यात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में भले ही 2.17 फीसदी की गिरावट आई हो।
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लेकिन मई 2024 की तुलना में इस बार परिधान निर्यात में 11.35 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। चालू वित्त वर्ष 2025-26 में परिधान निर्यात में लगातार दूसरे महीने बढ़ोतरी दर्ज की गई। अप्रैल-मई 2025 को मिलाकर यह बढ़ोतरी 12.80 फीसदी रही है। परिधान निर्यातक इसका मुख्य कारण अमेरिकी बाजार में भारत की तुलना में चीनी परिधानों पर अधिक शुल्क और बांग्लादेश में चल रहे घरेलू तनाव को मान रहे हैं।
गारमेंट को रोजगारोन्मुखी क्षेत्र माना जाता है, इसलिए गारमेंट निर्यात में बढ़ोतरी से रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय गारमेंट बाजार में भारत को चीन और बांग्लादेश से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में आंतरिक समस्याएं शुरू होने के बाद भारत के गारमेंट निर्यात को बढ़ावा मिला है।
इसकी वजह यह है कि विकसित देशों के खरीदार बांग्लादेश के बजाय भारतीय निर्यातकों से माल खरीदना पसंद कर रहे हैं और उन्हें अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। इस समय अमेरिकी बाजार में भारत के मुकाबले चीनी माल पर ज्यादा शुल्क है और इससे इस बाजार में भारतीय माल की मांग बढ़ी है। अमेरिका सालाना 120 अरब डॉलर का गारमेंट आयात करता है।
इसमें चीन की हिस्सेदारी 30 अरब डॉलर है जबकि भारत की हिस्सेदारी 10 अरब डॉलर से थोड़ी कम है। शुल्क में अंतर के कारण भारत के पास अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का शानदार मौका है। हालांकि भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ के पूर्व अध्यक्ष संजय जैन का कहना है कि परिधान निर्यात में बढ़ोतरी इस बात पर निर्भर करेगी कि हमें कच्चा माल कितना सस्ता मिलता है। निर्यात बढ़ाने के इस अवसर का लाभ सस्ते दरों पर कच्चे माल की आसान आपूर्ति से ही उठाया जा सकता है। सस्ते मानव निर्मित फाइबर की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है।
आगामी सीजन में कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद कपास के दाम में बढ़ोतरी की उम्मीद है। निर्यात बढ़ाने के इस अवसर का लाभ सस्ते दरों पर कच्चे माल की आसान आपूर्ति से ही उठाया जा सकता है। सस्ते मानव निर्मित फाइबर की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है। आगामी सीजन में कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद कपास के दाम में बढ़ोतरी की उम्मीद है। इससे कपास से बने परिधानों की लागत बढ़ेगी।
बड़े पैमाने पर सस्ते दामों पर मानव निर्मित फाइबर की उपलब्धता भी परिधान निर्माताओं के लिए एक चुनौती है। दूसरी ओर, कुछ छोटे निर्यातकों की यह भी शिकायत है कि चीन और बांग्लादेश से मिलने वाले ऑर्डर भारत में आ रहे हैं, लेकिन इसका फायदा परिधान निर्यात से जुड़ी बड़ी कंपनियों को मिल रहा है। छोटे उद्यमियों को अमेरिका से कम ऑर्डर मिल रहे हैं।