कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण घग्गर नदी मौत की नदी बन गई है। नदी किनारे बसे गाँवों का पानी प्रदूषित हो रहा है और कई कारखानों का कचरा इसमें डाला जा रहा है। शैलजा ने हरियाणा सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और नदी की सफाई, प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों के खिलाफ कार्रवाई और प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए विशेष पैकेज की मांग की।
कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने कहा है कि सरकार की लापरवाही के कारण घग्गर नदी मौत की नदी बनती जा रही है। इसके किनारे बसे गाँवों का पानी प्रदूषित हो रहा है, 13 गाँवों में तो पानी पीने लायक भी नहीं बचा है।
इस नदी में 46 कारखानों का कचरा डाला जा रहा है, फिर भी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। मजबूरी में किसान ज़हर से खेतों की सिंचाई करने को मजबूर हैं, बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। कैंसर तेज़ी से फैल रहा है जबकि इस इलाके में कैंसर की जाँच और इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है।
हरियाणा सरकार ज़िम्मेदार
सांसद शैलजा ने जारी एक बयान में कहा कि घग्गर नदी के बढ़ते प्रदूषण के कारण हरियाणा का दक्षिण-पश्चिमी इलाका कैंसर बेल्ट के रूप में बदनाम हो गया है। यह न केवल एक पर्यावरणीय आपदा है, बल्कि एक मानवीय त्रासदी भी है और इसके लिए हरियाणा सरकार ज़िम्मेदार है।
सांसद ने कहा कि घग्गर नदी की कुल लंबाई 320 किलोमीटर है। यह नदी पंजाब और हरियाणा में सबसे ज़्यादा प्रदूषित हो रही है। फसलों पर कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है जो पानी के साथ बहकर घग्गर नदी में मिल जाते हैं।
इसके साथ ही, पंजाब और हरियाणा में सैकड़ों कारखाने घग्गर नदी के किनारे स्थित हैं, जिनका कचरा और यहाँ तक कि जहरीले पदार्थ भी नदी में डाले जा रहे हैं। बिना एसटीपी के शहरों का सीवरेज सीधे नदी में डाला जा रहा है।
सांसद शैलजा ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार को इसकी जानकारी नहीं है, क्योंकि प्रभावित लोग हर मंच पर अपनी आवाज उठाते रहते हैं। वह खुद भी कई बार लोकसभा में इस गंभीर मुद्दे को उठा चुकी हैं, लेकिन 11 साल से सत्ता में काबिज भाजपा सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
घोषणाएँ और विज्ञापन तो खूब हुए, लेकिन न तो नदियों की सफाई हुई और न ही प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर कोई सख्त कार्रवाई हुई। सांसद ने कहा कि आंकड़े खुद नदी के प्रदूषण की गवाही दे रहे हैं। नदी के पानी में टीडीएस का स्तर 1068 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुँच गया है, जो पीने और खेती दोनों के लिए खतरनाक है।
हरियाणा में कैंसर के 1,678 नए मामले दर्ज
सिरसा, फतेहाबाद, हनुमानगढ़ जैसे जिलों में कैंसर, त्वचा रोग और बच्चों की बीमारियाँ तेज़ी से बढ़ रही हैं। 46 से ज़्यादा फैक्ट्रियाँ सीधे नदी में जहरीला पानी छोड़ रही हैं और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मूकदर्शक बना हुआ है। 2025 में ही हरियाणा में कैंसर के 1,678 नए मामले दर्ज किए गए। घग्गर नदी से निकलने वाली नहरों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। इनमें सिरसा ज़िला सबसे ज़्यादा प्रभावित है।
कुमारी शैलजा ने कहा कि सरकार को पता लगाना चाहिए कि प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग किसकी शह पर नियमों की अवहेलना कर जहरीला कचरा डाल रहे हैं? हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अब तक कितने दोषी उद्योगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है? क्या यह सरकार सिर्फ़ घोषणाएँ करने और पर्यावरण दिवस मनाने के लिए चुनी गई है?
सांसद ने सरकार से माँग की है कि घग्गर नदी की तत्काल सफाई के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की जाए, प्रदूषण फैलाने वाली फ़ैक्टरियों के ख़िलाफ़ तुरंत क़ानूनी कार्रवाई की जाए, प्रभावित इलाकों में कैंसर अस्पताल, पेयजल व्यवस्था और स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएँ, संसद की पर्यावरण समिति द्वारा इस मुद्दे पर एक विशेष रिपोर्ट तैयार की जाए।
सांसद ने कहा कि घोषणाओं से कुछ नहीं होने वाला, सरकार को ज़मीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई करनी होगी, इस बार जनता अब और इंतज़ार नहीं करेगी क्योंकि पानी उनके ऊपर से गुज़र चुका है।