महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार (15 जुलाई) को जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान उद्धव ठाकरे गुट के विधायक ने शिंदे गुट के मंत्री से पूछा कि क्या वह मुख्यमंत्री हैं?
उद्धव ठाकरे गुट के विधायक वरुण सरदेसाई द्वारा वांद्रे इलाके में 42 एकड़ ज़मीन और वहाँ झुग्गी पुनर्वास से जुड़े मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखे जाने के बाद महाराष्ट्र विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच ज़बरदस्त हंगामा हुआ।
इस प्रस्ताव पर एकनाथ शिंदे गुट के मंत्री शंभूराज देसाई के जवाब के बाद ठाकरे गुट के विधायक आक्रामक हो गए और ख़ुद आदित्य ठाकरे ने भी सदन में तीखा रुख़ अपनाया।
शंभूराज देसाई का आरोप
शंभूराज देसाई ने कहा, "मुझे इस मुद्दे की ज़्यादा गहराई में जाने की ज़रूरत नहीं थी, लेकिन मेरे पास जो जानकारी है, उसके अनुसार 2019 से 2022 के बीच तत्कालीन राज्य सरकार ने इस मामले में केंद्र से एक बार भी पत्राचार नहीं किया।" उनके यह कहते ही सदन में हंगामा मच गया।
शंभूराज देसाई ने आगे कहा, "2022 में सरकार बनने के बाद हम इस मुद्दे पर चार बार पत्र भेज चुके हैं। आपने क्या किया? हमें बदनाम मत करो। बताओ, आपने क्या किया? अगर मैंने किसी का नाम नहीं लिया, तो आपको गुस्सा क्यों आ रहा है?"
अगर रेलवे की ज़मीन ली गई, तो विरोध क्यों?
भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने कहा कि यह मुद्दा मेरे विधानसभा क्षेत्र से भी जुड़ा है। जब धारावी पुनर्विकास के लिए रेलवे की ज़मीन ली जा सकती है, तो इस ज़मीन को लेकर विरोध क्यों हो रहा है? राज्य सरकार इसके लिए क्या प्रयास करेगी? इस पर मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा कि वह इस मामले पर अपने कार्यालय में एक बैठक करेंगे।
आदित्य ठाकरे का पलटवार
शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा कि मंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं, गलत जवाब दे रहे हैं। क्या हमें विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाना चाहिए?
वहीं, ठाकरे गुट के विधायक भास्कर जाधव ने कहा कि कोई भी मंत्री किसी भी विभाग पर बयान नहीं दे सकता। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति ज़रूरी है। शंभूराज देसाई नगरीय विकास विभाग के मामलों पर कैसे बोल सकते हैं? क्या वे मुख्यमंत्री हैं?
इस दौरान भास्कर जाधव और सत्ता पक्ष के विधायकों के बीच तीखी बहस हुई, जिसके कारण विधानसभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।