- 'विरोध के नाम पर संसद की कार्यवाही बाधित की जा रही है', अमित शाह का विपक्ष पर हमला

'विरोध के नाम पर संसद की कार्यवाही बाधित की जा रही है', अमित शाह का विपक्ष पर हमला

गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष के विरोध के बाद बार-बार व्यवधान और स्थगन के कारण बहुत कम काम हो पाया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार (24 अगस्त, 2025) को कहा कि संसद या विधानसभाएँ चर्चा और बहस के लिए जगह हैं, लेकिन संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए विरोध के नाम पर सत्र को न चलने देना ठीक नहीं है। शाह ने यह टिप्पणी 'अखिल भारतीय अध्यक्ष सम्मेलन' को संबोधित करते हुए की।

उन्होंने कहा कि इससे तीन दिन पहले, संसद के मानसून सत्र के दौरान भी विपक्ष के विरोध के बाद बार-बार व्यवधान और स्थगन के कारण बहुत कम काम हो पाया था। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि जब संसद में सीमित चर्चा होती है, तो राष्ट्र निर्माण में सदन का योगदान प्रभावित होता है।

विरोध के नाम पर सदन की कार्यवाही में व्यवधान

उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र में चर्चा होनी चाहिए, लेकिन किसी के संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए विरोध के नाम पर सदन को न चलने देना ठीक नहीं है।' शाह ने कहा, 'विपक्ष को हमेशा संयमित रहना चाहिए। अगर विरोध जताने के नाम पर सदन को दिन-प्रतिदिन या सत्र-दर-सत्र चलने नहीं दिया जाता, तो यह ठीक नहीं है।'

गृह मंत्री ने कहा कि देश को इस बारे में सोचना होगा, जनता को इस बारे में सोचना होगा और निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस बारे में सोचना होगा। शाह ने कहा कि सभी चर्चाओं का कोई न कोई अर्थ होना चाहिए और सभी को अध्यक्ष पद की गरिमा और सम्मान बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए।

सत्ता पक्ष और विपक्ष के तर्क निष्पक्ष होने चाहिए

उन्होंने कहा, 'हमें जनता के मुद्दों को उठाने के लिए एक निष्पक्ष मंच प्रदान करने का काम करना चाहिए। सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों के तर्क निष्पक्ष होने चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सदन संबंधित सदन के नियमों और विनियमों के अनुसार चले।'

हस्तिनापुर में महाभारत की पात्र द्रौपदी के अपमान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जब भी सदन की गरिमा से समझौता किया गया है, देश ने उसके भयानक परिणाम देखे हैं। गृह मंत्री ने आज़ादी के बाद से भारत की लोकतांत्रिक परंपरा की सराहना की और कहा कि यहाँ लोकतंत्र की जड़ें इतनी गहरी हैं कि सत्ता परिवर्तन के दौरान खून की एक बूँद भी नहीं बही, जबकि कई देशों में समय के साथ लोकतांत्रिक स्थिति बिगड़ती गई है।

लोकतंत्र की समस्याओं के समाधान के लिए विचार

उन्होंने कहा कि अगर संसद या विधानसभाओं में चर्चा नहीं होगी, तो ये इमारतें बेजान रहेंगी। उन्होंने कहा, 'अध्यक्ष के नेतृत्व में सभी सदस्य इन इमारतों में अपने विचार व्यक्त करते हैं, तभी यह एक जीवंत इकाई बनती है, जो देश और राज्यों के हित में काम करती है। अध्यक्ष को अभिभावक के साथ-साथ सेवक बताते हुए शाह ने कहा कि लोकतंत्र में जनता की समस्याओं के समाधान के लिए विचार-मंथन ही सबसे अच्छा तरीका है।

उन्होंने कहा कि किसी भी कानून का उद्देश्य हमेशा जनता का कल्याण, देश का समावेशी विकास, प्रशासनिक दक्षता सुनिश्चित करना, राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा और बाह्य सुरक्षा होना चाहिए। शाह ने केंद्रीय विधानसभा के पहले निर्वाचित भारतीय अध्यक्ष विट्ठलभाई पटेल को भी श्रद्धांजलि दी।

महान स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल का ज़िक्र

उन्होंने कहा कि 100 साल पहले आज ही के दिन, महान स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल को केंद्रीय विधान सभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, जिससे भारत के विधायी इतिहास की शुरुआत हुई। शाह ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल के भाई विट्ठलभाई पटेल का योगदान समय के साथ कम होता गया।

उन्होंने कहा, 'अगर देश का स्वतंत्रता संग्राम महत्वपूर्ण था, तो देश चलाना और विधायी प्रक्रियाएँ स्थापित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। विट्ठलभाई पटेल ने कठिन समय में भी लोकतंत्र की स्थापना और उसे मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हम सभी को इसे याद रखना चाहिए।'

विधानसभाओं के स्वतंत्र होने पर चर्चा

विट्ठलभाई के बारे में बात करते हुए शाह ने कहा कि उन्होंने एक स्वतंत्र विधानसभा बनाई थी। उन्होंने कहा कि कोई भी विधानसभा निर्वाचित सरकार के अधीन काम नहीं कर सकती, उन्हें स्वतंत्र होना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि विट्ठलभाई ने कहा था कि वहाँ हुई चर्चाएँ तभी सार्थक रहेंगी जब विधानसभाएँ स्वतंत्र होंगी।

शाह ने कहा कि ब्रिटिश काल में विट्ठलभाई पटेल ने एक स्वतंत्र विधायी विभाग स्थापित करने का निर्णय लिया था, जिसे संविधान सभा ने भी स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि इसीलिए आज यह विभाग देश की सभी विधानसभाओं के साथ-साथ लोकसभा और राज्यसभा में भी पीठासीन अधिकारी के अधीन कार्य करता है।

गुजरात ने दो महान व्यक्ति दिए

उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का पद अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और सदन की प्रतिष्ठा की रक्षा और संवर्द्धन करना अध्यक्ष का दायित्व होता है और विट्ठलभाई पटेल ने इन कार्यों को बखूबी निभाया। शाह ने कहा कि विट्ठलभाई पटेल ने सदन में कई परंपराएँ स्थापित कीं, जो आज विधायी कार्यों, विशेषकर अध्यक्ष के लिए, के लिए मार्गदर्शक का काम करती हैं।

उन्होंने कहा, 'जब हम बात करते हैं...विट्ठलभाई पटेल के बारे में, हम गुजरात के लोग गर्व से कहते हैं कि गुजरात ने दो महान व्यक्ति दिए हैं। पहले भाई, सरदार पटेल, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दिन-रात काम किया और दूसरे, विट्ठलभाई पटेल ने भारत की विधायी परंपराओं की नींव रखी और आज के लोकतंत्र की एक मजबूत नींव रखी।'

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