नई दिल्ली । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हो सकती है। उन्होंने ईडी द्वारा जारी समन का पत्र लिखकर जवाब दिया, साथ ही उसे गैर कानूनी भी ठहराया था। अब यदि धारा 135 के तहत क्रिमिनल केस बनता है तो उनकी गिरफ्तारी हो सकती है।
क्योंकि सिविल मामले में तो पीएम या सीएम या संसद के सदस्यों को गिफ्तारी से छूट है, लेकिन क्रिमिनल मामलों में नहीं है। बता दें कि ईडी ने केजरीवाल को शराब घोटाले में समन जारी किया है। उन्हें ये समन कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जारी हुआ है। वहीं आप नेता आतिशी ने उनकी गिरफ्तारी की आशंका जताई थी। ऐसे में यह जानना भी जरुरी है कि किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के नियम क्या हैं? दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केजरीवाल को अब प्रवर्तन निदेशालय ने समन जारी किया है। केजरीवाल को 2 नवंबर को सुबह 11 बजे पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन उन्होंने पत्र लिखकर जवाब दिया और ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए। इससे पहले सीबीआई ने अप्रैल में उनसे 9 घंटे तक पूछताछ की थी।
इधर आम आदमी पार्टी ने आंशका जताई है कि ईडी कभी भी मुख्यमंत्री केजरीवाल को गिरफ्तार कर सकती है। दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने यह दावा किया था। आतिशी ने मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा कि बीजेपी का मकसद आम आदमी पार्टी को खत्म करना है। दसअसल कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा 135 के तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, मुख्यमंत्री, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों को गिरफ्तारी से छूट मिली है। ये छूट सिर्फ सिविल मामलों में है, क्रिमिनल मामलों में नहीं है।
इस धारा के तहत संसद या विधानसभा या विधान परिषद के किसी सदस्य को गिरफ्तार करना है तो सदन के अध्यक्ष या सभापति से मंजूरी लेना जरूरी है। साथ ही सत्र से 40 दिन पहले, उस दौरान और उसके 40 दिन बाद तक ना तो किसी सदस्य को गिरफ्तार किया जा सकता है और ना ही हिरासत में लिया जा सकता है। इतना ही नहीं, संसद परिसर या विधानसभा परिसर या विधान परिषद के परिसर के अंदर से भी किसी सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में नहीं ले सकते, क्योंकि अध्यक्ष या सभापति का आदेश चलता है।