जबलपुर,। २०१३ में साफ दिख रहा था कि समीकरण भाजपा के साथ है। २०१८ में हालात कांग्रेस की राह आसान कर रहे थे। लेकिन २०२३ में आज यह स्थिति है कोई भी अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है। यहां अब जनता भी कहनेलगी है, उत्तर का चुनाव दो मजबूत सितारों के दरम्यान है। दोनों के भाग्य प्रबल है, दोनों की राहें हमेशा करिशमाई तरीके से आसान हुई हैं। इसलिये अब सितारे ही बता पाएंगे कि २०२३ में उत्तर में किसका सूरज उगेगा। किसी क्षेत्र में खड़े होकर हर तरफ कांग्रेस ही कांग्रेस दिखती है। किसी क्षेत्र में खड़े होकर हर तरफ भाजपा ही भाजपा का नजारा है। कहीं यह कहते लोग नजर आते हैं हमने दशकों से भाजपा को वोट दिया है आज भी देंगे, कहीं यह कहते लोग नजर आते हैं, हम दशकों से कांग्रेस के साथ हैं, आज भी रहेंगे। उत्तर मध्य में कहीं भाजपा को अपने के भीतरघात का खतरा है, कहीं कांग्रेस प्रत्याशी रूठों को मनाने में जुटे हैं। आज जब जिले की हर सीट पर कुछ न कुछ आंकलन दिया जा सकता है, तब उत्तर मध्य ऐसी सीट बन चुकी है, जहां हर कोई समझदार आदमी यही कह रहा है। भाई! कुछ भी कहना मुश्किल है। दोनों का भाग्य प्रबल है, अब भाग्य ही तय करेगा भाग्यवानों का भविष्य।
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र जबलपुर उत्तर से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या आठ है। इनमें भारतीय जनता पार्टी के अभिलाष पाण्डेय को कमल, इंडियन नेशनल कांग्रेस के विनय सक्सेना को हाथ, बहुजन समाज पार्टी के सिकंदर अली को हाथी, भारतीय संपूर्ण क्रांतिकारी पार्टी के देवेन्द्र शुक्ला को हीरा, इंडियन पीपुल्स अधिकार पार्टी के बलराम श्रीवास्तव को गुब्बारा, सर्वधर्म पार्टी (मध्य प्रदेश) के बृजेश पाठक को पंचिंग मशीन, जनता दल (यूनाईटेड) के संजय जैन ‘’संजू मामा’’ को तीर तथा निर्दलीय उम्मीदवार रजनीश नवेरिया ‘’पं.रजनीश नवेरिया’’ को बैटरी टार्च चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया है। हलांकी यहा यही कहा जा रहा है कि कांग्रेस और भाजपा के बीच ही सीधी टक्कर है। अब तक जिस तरह से प्रचार और प्रत्याशियों के प्रयास है, उससे भी यही लग रहा है कि मुकाबला कांग्रेस के विनय सक्सेना और भाजपा के अभिलाष पाण्डे के बीच ही है।
जबलपुर उत्तर विधानसभा सीट पर साल २०१८ के चुनाव में कुल २०७५०६ मतदाता थे। इनमें से ५००४५ वोटर्स ने कांग्रेस के विनय सक्सेना को जिता दिया था। जबकि भाजपा प्रत्याशी शरद जैन को ४९४६७ वोट मिले थे। हार-जीत का अंतर महज ५७८ वोटों का था। इस बार स्थिति समझ से परे है, मतदाता शांत है। जिससे २०२३ के चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है।