नई दिल्ली । अदालत ने डेढ़ करोड़ की फिरौती के लिए 11 साल के बच्चे की किडनैपिंग से जुड़े 10 साल पुराने मामले में तीनों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। अडिशनल सेशन जज संजय शर्मा की अदालत ने पुलिस की जांच पर भी गंभीर सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि नाबालिग बच्चे की किडनैपिंग जैसे गंभीर मामले की जांच में शामिल पुलिस अधिकारी अपनी मर्जी से यहां वहां रेड डालने गए। थाने में इससे संबंधित कोई एंट्री दर्ज नहीं की गई। इतना ही नहीं पुलिस ने बच्चे के ब्लड और यूरीन की जांच कराना भी जरूरी नहीं समझा। जिससे यह पता चल सके कि बच्चे को कोई नशीला पदार्थ तो नहीं दिया गया था। सुरेंद्र सिंह परिवार के साथ पुराना राजेंद्र नगर में रहते हैं।
उनका गांधी नगर में रेडीमेड गारमेंट के कपड़ों का बिजनेस है। 6 जुलाई 2013 को वह अपनी शॉप पर मौजूद थे। शाम 6 बजे के करीब उनका बेटा मोबाइल फोन रीचार्ज कराने के लिए दुकान पर गया था। इसके बाद वह वापस नहीं लौटा। शाम 6:41 बजे उनकी पत्नी के मोबाइल पर किसी खान नामक शख्स ने कॉल कर बताया कि उनका बेटा उनके कब्जे में है। बच्चे की सकुशल रिहाई की एवज में डेढ़ करोड़ की फिरौती मांगी गई। पैसे न देने पर बच्चे को गोली मारने की धमकी दी गई। बच्चे की मां जसिवंदर कौर ने पीसीआर कॉल की। राजेंद्र नगर पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। पुलिस टीम ने 7 जुलाई 2013 को रेवाड़ी रेलवे स्टेशन की पार्किंग में दबिश देकर वहां से बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया। पुलिस ने पार्किंग से वह कार भी जब्त कर ली जिसमें बच्चे को रखा गया था। पुलिस ने इस मामले में हरदीप सिंह, सरपाल सिंह सोढ़ी और अमरजीत सिंह उर्फ जीते को अरेस्ट किया।