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सूत्रों का कहना है कि यह राजनीतिक दलों का चुनावी बाजी जीतने का एक फंडा है। ताकि इन हमनाम उम्मीदवारों के सहारे वोटर्स को गफलत में डालकर प्रतिद्वंदी दल को नुकसान पहुंचा सके। प्रदेश करीब 60 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर एक ही नाम के दो उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए उनके हमनाम निर्दलीय उम्मीदवार बड़ी परेशानी बन रहे हैं। इंदौर विधानसभा क्रमांक-एक पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक संजय शुक्ला एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतरे हैं। जहां उनके हमनाम संजय शुक्ला ने निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में ताल ठोंक रखी है। इस सीट पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी चुनाव मैदान में हैं, जो पहले से ही कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। इंदौर विधानसभा क्रमांक-तीन पर कांग्रेस के दीपक पिंटू जोशी के लिए उनके हमनाम निर्दलीय उम्मीदवार महेश पिंटू जोशी दिक्कत दे रहे हैं।
इसी तरह से भोपाल की नरेला विधानसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार मनोज शुक्ला के लिए उनके हमनाममनोज शुक्ला बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मुसीबत बन रहे हैं। बांधवगढ़ सीट पर कांग्रेस की उम्मीदवार सावित्री सिंह के लिए उनकी हमनाम निर्दलीय उम्मीदवार सावित्री कोल और तराना विधानसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार महेश परमार के लिए उनके हमनाम निर्दलीय उम्मीदवार महेश परमार परेशानी बन रहे हैं।
भिंड विधानसभा सीट पर भाजपा के नरेंद्र सिंह कुशवाहा के लिए उनके हमनाम निर्दलीय उम्मीदवारनरेंद्र सिंह, देपालपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के मनोज पटेल के लिए उनके हमनाम निर्दलीय उम्मीदवार मनोज पटेल, ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर भाजपा के नारायण कुशवाहा के लिए हमनाम निर्दलीय उम्मीदवार नारायण कुशवाहा, तेंदुखेड़ा सीट पर भाजपा के विश्वनाथ सिंह के लिए उनके हमनाम निर्दलीय उम्मीदवार विश्वनाथ सिंह और महिदपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के बहादुर सिंह के लिए उनके हमनाम निर्दलीय उम्मीदवार बहादुर सिंह बड़ी परेशानी बन रहे हैं।