लंदन। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने विवादों में आए मंत्री ब्रेवरमैन को उनके पद से बर्खास्त कर दिया है। साथ असामान्य कदम के तहत ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को देश का विदेश मंत्री नियुक्त किया गया। किसी पूर्व प्रधानमंत्री और गैर-सांसद को वरिष्ठ सरकारी पद पर नियुक्त किया जाना दुर्लभ है। सरकार ने कहा कि कैमरन को संसद के उच्च सदन ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स का सदस्य बनाया जाएगा। इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने सोमवार को भारतीय मूल की अपनी गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन को बर्खास्त कर दिया । सुनक ने यह कदम मेट्रोपॉलिटन पुलिस को निशाना बनाने वाला एक विवादास्पद लेख प्रधानमंत्री की अनुमति के बिना एक अखबार में प्रकाशित होने के कुछ दिन बाद उठाया है।
भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुनक पर ब्रेवरमैन की टिप्पणियों को लेकर उनकी कंजर्वेटिव पार्टी के कई सदस्यों का दबाव था और साथ में उन्हें विपक्ष के हमलों का भी सामना करना पड़ रहा था। ब्रेवरमैन ने सप्ताहांत में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद रविवार शाम एक बयान में कहा, ‘‘हमारे बहादुर पुलिस अधिकारी कल लंदन में प्रदर्शनकारियों की हिंसा और आक्रामकता तथा प्रदर्शनकारियों के विरोध में प्रदर्शन करने वालों से निपटने में अपनी पेशेवर क्षमता के लिए हर सभ्य नागरिक की ओर से धन्यवाद के पात्र हैं। अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान कई अधिकारियों के घायल होने से आक्रोश है। हालाँकि, पुलिस के समर्थन में आया उनका यह बयान उनकी ओर से पद बचाने के प्रयास के तौर पर नजर आया।
अखबार में विवादास्पद लेख के प्रकाशन के बाद से ही ब्रेवरमैन के भविष्य को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। ब्रेवरमैन की जगह 54 वर्षीय विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली को गृह मंत्री बनाया गया है। क्लेवरली को उस दिन विदेश मंत्री के पद से हटना पड़ा है जिस दिन उनकी बातचीत पांच दिन की ब्रिटेन यात्रा पर पहुंचे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ होनी थी। यह देखना शेष है कि संबंधित द्विपक्षीय बैठकें अब किस तरह की होंगी क्योंकि क्लेवरली की जगह पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन अब नए विदेश मंत्री हैं। ब्रेवरमैन की बर्खास्तगी के बाद सुनक के मंत्रिमंडल में फेरबदल से कई आश्चर्य सामने आने की उम्मीद है। अखबार में छपे एक लेख में ब्रेवरमैन ने मेट्रोपॉलिटन पुलिस पर इजराइल-हमास संघर्ष शुरू होने के बाद लंदन में होने वाले प्रदर्शनों से सख्ती से नहीं निपटने का आरोप लगाया था।