नई दिल्ली । भारतीय ऑडिनेंस फैक्ट्री सेवा के अधिकारियों (आईओएफएस) और भारतीय रक्षा लेखा सेवा के परिवीक्षाधीनों ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने कहा कि वे ऐसे समय में उनकी सेवाओं में शामिल हुए हैं जब देश स्थानीय और वैश्विक स्तर पर व्यापक रूपांतरण के दौर से गुजर रहा है। नई प्रौद्योगिकियों के उद्भव और नवीनतम तकनीकों तथा सूचनाओं के विश्व के हर हिस्से में त्वरित गति से फैलने के साथ,
एक विकसित राष्ट्र के निर्माण और भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी। उन्होंने कहा कि युवा अधिकारियों के विचार, निर्णय और कार्य रक्षा प्रणालियों और देश के भविष्य को आकार देने में व्यापक स्तर पर योगदान देंगे।राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने एक समावेशी और विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करने की यात्रा का सूत्रपात किया है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर, प्रतिस्पर्धी और मजबूत अर्थव्यवस्था के निर्माण में स्वदेशी उद्योगों की बहुत बड़ी भूमिका है। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई नीतिगत पहल की हैं और रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन,
विकास और विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सुधार लाए हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आईओएफएस अधिकारी रक्षा प्रणालियों में स्वदेशीकरण के प्रेरक और सूत्रधार होंगे और उनसे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में काम करने की उम्मीद की जाएगी। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 के 686 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 16,000 करोड़ रूपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि आईओएफएस अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए विकास कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लें और भारत को रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएं।