नई दिल्ली । दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र 20 प्रतिशत कोर्स आनलाइन पढ़ सकेंगे। इन्हें मेसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेस (मूक्स) के जरिये पढ़ाया जाएगा। डीयू ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के स्वयं प्लेटफार्म के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षण पाठ्यक्रमों के क्रेडिट फ्रेमवर्क को अपनाने का निर्णय लिया है। इसका प्रस्ताव 30 नवंबर को होने जा रही अकादमिक परिषद की बैठक में लाया जा रहा है। इनमें कौन से कोर्स पढ़ाए जाएंगे और विश्वविद्यालय इसका आयोजक कैसे बनेगा, इस पर चर्चा की जाएगी। स्वयं प्लेटफार्म के माध्यम से मूक्स कोर्स अभी देशभर के छात्र पढ़ते हैं। इनके लिए क्रेडिट दिए जाते हैं।
डीयू ने वाणिज्य और रासायन शास्त्र में मूक कोर्स तैयार किए हैं। जिन्हें देशभर के इंस्टीट्यूशन से स्वयं के माध्यम से छात्र ऑनलाइन पढ़ रहे हैं। डीयू अब इन कोर्सेस का मुख्य आयोजक बनने जा रहा है। मूक्स में कौन से कोर्स शामिल होंगे, इस पर चर्चा के बाद फैसला लिया जाएगा। यह कोर्स सामान्य होंगे या मुख्य 20 कोर कोर्स भी इसमें शामिल होंगे, इस पर विचार किया जाना शेष है। मूक्स कोर्स को उसी सूरत में पढ़ाया जाएगा जब संस्थान में पाठ्यक्रम चलाने के लिए उपयुक्त शिक्षण स्टाफ की अनुपलब्धता हो।
छात्रों द्वारा मांगे गए वैकल्पिक पेपर (पाठ्यक्रम) की पेशकश की सुविधाएं संस्थान में उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन स्वयं मंच पर उपलब्ध हैं और स्वयं पर पेश किए गए पाठ्यक्रम संस्थान में शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया के पूरक होंगे। डीयू के वाणिज्य विभाग के प्रमुख ने 16 फरवरी को भेजे एक नोट में सूचित किया था कि विभाग शिक्षकों द्वारा विकसित मूक्स को डीयू में लागू करना चाहता है और विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से संबंधित मूक्स पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित करना चाहता है। उन्होंने मूक्स के शीर्षक, पाठ्यक्रम समन्वयक, क्रेडिट, उद्देश्य आदि के संबंध में विवरण भी भेजा है, जिसे उनकी विभागीय परिषद की बैठक में मंजूर किया गया था।
मूक कोर्सों को इनके बाहर जाकर छात्र को पढ़ने का मौका देना चाहिए। उसको उसके क्रेडिट स्कोर में जोड़ना चाहिए। इसका फायदा छात्र के करियर में होगा। डीयू में हर छात्र का अकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट एकाउंट बना है। इसके जरिये क्रेडिट का हस्तांतरण भी कर सकते हैं। इसका फायदा उन्हें ज्यादा होगा। उन्होंने कहा कि इसके लागू होने का असर शिक्षकों के वर्कलोड पर भी पड़ेगा। शिक्षकों की भर्तियों के अवसर कम हो सकते हैं। स्वयं के जरिये छात्र पढ़ें तो उसका क्रेडिट अलग ही होना चाहिए। कोविड के बाद ऐसे मामले देखने को आए थे कि कई कंपनियों ने आनलाइन पढ़ाई करने वाले छात्रों को अपने यहां आवेदन करने से इन्कार कर दिया था। ऐसे में उनकी शिक्षा की गुणवत्ता पर भी इसका असर पड़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।