नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना से संभवत: प्रभावित होने वाली वक्फ संपत्तियों की स्थिति पर शुक्रवार को केंद्र सरकार से रुख स्पष्ट करने को कहा है। जस्टिस प्रतीक जालान ने केंद्र से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करके यह बताने को कहा है कि क्या परियोजना से दिल्ली वक्फ बोर्ड की कुछ संपत्तियां प्रभावित हुई हैं या किसी के प्रभावित होने की संभावना है। वक्फ बोर्ड ने उस क्षेत्र में अपनी छह संपत्तियों मानसिंह रोड पर मस्जिद जब्ता गंज, रेड क्रॉस रोड पर जामा मस्जिद, उद्योग भवन के पास मस्जिद सुनहरी बाग रोड, मोती लाल नेहरू मार्ग के पीछे मजार सुनहरी बाग रोड,
कृषि भवन परिसर के अंदर मस्जिद कृषि भवन और भारत के उपराष्ट्रपति के आधिकारिक आवास पर मस्जिद उपराष्ट्रपति के संरक्षण और सुरक्षा के लिए 2021 में उच्च न्यायालय का रुख किया था, जहां पुनर्विकास कार्य चल रहा था। वक्फ बोर्ड के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा था कि कार्रवाई लंबित रहने के दौरान सुनहरी बाग मस्जिद के पास मजार को ध्वस्त कर दिया गया। बोर्ड अदालत से उनके पक्ष में अंतरिम आदेश पारित करने का अनुरोध किया था। अदालत ने कहा कि जब मामला पिछले दो साल से अधिक समय से लंबित है,
तो वह केंद्र का पक्ष सुने बिना रोक लगाने संबंधी आदेश पारित नहीं कर सकती। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भारत सरकार के वकील को रिट याचिका में उल्लिखित संपत्तियों की स्थिति के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है। उनसे यह भी बताने को कहा गया है कि क्या संपत्तियां सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास से प्रभावित हुई हैं या उनके प्रभावित होने की आशंका है। दरअसल, केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना जारी की थी। मजार को नई दिल्ली नगर निगम ने ध्वस्त किया था। उन्होंने कहा कि उन संपत्तियों के संबंध में फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। मामले की अगली सुनवाई के लिए नौ फरवरी की तारीख तय की गई है।