नई दिल्ली । संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर विपक्ष के सदस्यों के जोरदार हंगामे के कारण लोकसभा स्पीकर ओम बिरला नाराज नजर दिखाई दिए। इतना ही नहीं, उन्होंने मुद्दे के राजनीतिकरण पर दुख जताकर कहा कि यह दुख की बात है कि हम ऐसी घटनाओं को लेकर राजनीति कर रहे हैं। सोमवार सुबह कार्यवाही शुरू होने पर अध्यक्ष बिरला ने संसद की सुरक्षा में चूक संबंधी घटना का उल्लेख कर कहा कि उस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर सभी सदस्यों ने सामूहिक रूप से चिंता जाहिर की थी और सदन में विभिन्न दलों के नेताओं के सुझाव के आधार पर उन्होंने कुछ सुरक्षा उपाय किए हैं और कुछ पर भविष्य में अमल होगा।
उन्होंने सदन की अवमानना के मामले में पिछले सप्ताह विपक्ष के 13 सदस्यों को निलंबित करने का जिक्र कर कहा कि निलंबन का सुरक्षा में चूक की घटना से कोई संबंध नहीं है और इसका संबंध संसद की गरिमा एवं प्रतिष्ठा बनाये रखने से है। उन्होंने विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे को लेकर निराशा जाहिर कर कहा, दुर्भाग्यपूर्ण कि हम ऐसी घटनाओं को लेकर राजनीति कर रहे हैं। यह राजनीति करने वाली घटनाएं नहीं हैं।
बिरला ने कहा कि नए संसद भवन में कामकाज शुरू करने से पहले सभी दलों के नेताओं ने इस पर सहमति जाहिर की थी कि सदन में तख्तियां लेकर प्रदर्शन नहीं होगा और सदन की गरिमा एवं मर्यादा को बनाकर रखा जाएगा। संसद की मर्यादा और गरिमा बनाकर रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। हम सभी को संसद की परिपाटियों और परंपराओं का पालन करना चाहिए। बिरला ने कहा, लोकसभा अध्यक्ष के रूप में मेरा सार्थक, सकारात्मक चर्चा कराने का प्रयास रहता है। असहमति हो सकती है, लेकिन सकारात्मक तरीके से हो। तख्तियां लाना, नारेबाजी करना, आसन के समीप आना सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं है। लोकसभा अध्यक्ष ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से कहा, मेरा निवेदन है कि राष्ट्रहित में आप मुझे सहयोग करें। पूर्व में भी आपका सहयोग मिला है,
लेकिन ये तख्तियां लेकर आना उचित नहीं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर उच्च-स्तरीय जांच शुरू हो गई है और संसद स्तर पर भी जांच के लिए उच्चाधिकार-प्राप्त समिति बनाई गई है, जो संसद में सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेगी तथा सुरक्षा व्यवस्था बेहतर करने के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी, ताकि भविष्य में कोई ऐसी घटना न घटे। उन्होंने कहा कि संसद की सुरक्षा संसदीय सचिवालय के तहत आती है और इसकी कार्ययोजना बनाने का काम संसद का है। बिरला ने कहा कि पहले की घटनाओं पर भी तत्कालीन अध्यक्षों ने संज्ञान लेकर कार्रवाई की थी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के मुद्दे पर संसद ही कार्ययोजना बनाएगी और आवश्यकता होगी तो सरकार का सहयोग लिया जा सकता है, लेकिन यह विषय संसद के क्षेत्राधिकार का ही रहना चाहिए।