नई दिल्ली। संसद सत्र के दौरान लोकसभा में भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लाए गए तीन नए कानूनों पर बहस चल रही है। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन तीनों कानूनों को गुलामी की निशानी को मिटाने का प्रयास बताया। वहीं एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने इन नए कानूनों की तुलना रौलट ऐक्ट से कर दी। बहस के दौरान ओवैसी ने शायराना अंदाज में कहा, हमको शाहों की अदालत से तवक्को तो नहीं, आप कहते हैं तो जंजीर हिला देते हैं। इसके साथ ही 20 दिसंबर को लोकसभा में उन्होंने जॉन एलिया साहब का शेर -जुर्म में हम कमी करें भी तो क्यूं, तुम सज़ा भी तो कम नहीं करते, पढ़ा।
ओवैसी के अनुसार मोदी सरकार द्वारा लाए गए इन तीनों ही विधेयक में कई ऐसे प्रावधान जोड़े गए हैं जो काफी खतरनाक हैं। ये देश के आम नागरिकों की स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए खतरा हैं। इन नए कानूनों पर ओवैसी कहते हैं कि ये विधेयक भारत के आम लोगों के खिलाफ हैं। इसमें पुलिस को न्यायाधीश, जूरी और एक्जिक्यूटर के रूप में काम करने की शक्तियां दे दी गई हैं। अगर इसे कानून की शक्ल दी जाती है तो आम लोगों से उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे।
आईपीसी में फिलहाल 511 धाराएं हैं। इसकी जगह भारतीय न्यायिक संहिता लेता है तो इसमें 356 धाराएं रह जाएंगी। पुराने कानून से नए कानून में 175 धाराएं बदल जाएंगी। भारतीय न्यायिक संहिता में 8 नई धाराएं जोड़ी जाएंगी, 22 धाराएं हटाई जाएंगी। इसी तरह सीआरपीसी में 533 धाराएं रह जाएंगी और 160 धाराएं बदल जाएंगी। नए कानून में 9 नई धाराएं जोड़ी गई है और 9 खत्म कागईहै। ओवैसी ने लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा कि देश की वर्तमान सरकार का मंत्र जनता के लिए अविश्वास और धंधे के लिए विश्वास मंत्र है। हमारे देश में आज सूट पहनने वाला व्यक्ति किसी भी सजा से बच जाता है। खाकी पहना व्यक्ति किसी को भी गोली मार सकता है उन्हें किसी तरह का जवाब भी नहीं देना होता। लेकिन, संसद में बैठे जिन लोगों पर आतंकवाद के आरोप हैं, वह इस कानून में बताएंगे कि आतंकवाद क्या है।
अपने पूरे भाषण के दौरान गुस्से में नजर आ रहे ओवैसी को जब किसी अन्य सदस्य ने टोका तो उन्होंने कहा कि वह मरने को तैयार हैं, उनकी गोलियां खत्म हो जाएंगी लेकिन वह जिंदा रहेंगे। ओवैसी ने इसी दौरान साल 1999 में उनके साथ ही पुलिस के हाथों पिटाई का भी एक किस्सा साझा किया। ओबैसी कहते हैं कि, 22 दिसंबर 1999 को पुलिस ने मुझे पीटा था उस दिन मेरे सिर पर 20 टांके लगाए गए थे।उस वक्त टीडीपी की सरकार थी और मुझे पीटने वाले दोनों पुलिसवालों को आईपीएस बना दिया गया।
गौरतलब है कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक का रास्ता लोकसभा में साफ हो गया। अब इन तीनों बिलों को जांच के लिए संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है। इसके बाद इन्हें लोकसभा और बाद में राज्यसभा में पारित कराया जाएगा। अगर यह तीन विधेयक कानून की शक्ल लेता है तो ये बिल भारतीय दंड संहिता (आपीसी), कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह ले लेंगे।