नई दिल्ली । एमनेस्टी इंटरनेशनल और एक मीडिया हाऊस की पोस्ट ने प्रकाशित एक संयुक्त जांच में कहा कि भारत सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर के साथ फिर से हाई-प्रोफाइल पत्रकारों को निशाना बनाया है। इजरायली फर्म एनएसओ ग्रुप द्वारा निर्मित, पेगासस का उपयोग फोन के संदेशों और ईमेल तक पहुंचने, फोटो देखने, कॉल पर नजर रखने, स्थानों को ट्रैक करने और इतना ही नहीं कैमरे से मालिक की फिल्म बनाने के लिए भी किया जा सकता है। भारत सहित दर्जनों देशों में पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ स्पाइवेयर के व्यापक उपयोग का दस्तावेजीकरण किया है, जो आम तौर पर केवल सरकारों या सुरक्षा एजेंसियों को बेचा जाता है।
एमनेस्टी ने कहा कि पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) के आनंद मंगनाले को उनके आईफोन पर स्पाइवेयर से निशाना बनाया गया था। एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब के प्रमुख डोनाचा ओ सियरभैल ने कहा कि भारत में पत्रकारों को केवल अपना काम करने के लिए गैरकानूनी निगरानी के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। भारत सरकार ने उस रिपोर्ट पर तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी, जिसमें कहा गया था कि स्पाइवेयर के उपयोग का सबसे हालिया पहचाना गया मामला अक्टूबर में हुआ था।
निशाने पर आने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल थे। मोदी सरकार ने इलीगल सर्विलेंस करने से इंकार किया लेकिन आरोपों की सुप्रीम कोर्ट की जांच में सहयोग करने से इंकार कर दिया, जिसके निष्कर्ष सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।