- अगर भारत ने ठुकराया तो चीन का नया ‎शिकार बनेगा मालदीव

अगर भारत ने ठुकराया तो चीन का नया ‎शिकार बनेगा मालदीव


-पर्यटकों के ‎‎बिना खाने-पीने के पड़ जाएंगे लाले, ‎फिर चीन आएगा मदद के ‎लिए आगे


नई दिल्ली। इतना तो तय है ‎कि य‎दि भारत ने मालदीव को ठुकरा ‎दिया तो ‎फिर वह चीन का नया ‎शिकार बन जाएगा। क्यों‎कि पर्यटकों के ‎बिना वहां पर खाने-पीले के लाले पड़ेंगे और ‎‎फिर चीन मदद के ‎लिए आगे आएगा। जानकार तो यही कह रहे हैं ‎कि श्रीलंका, पाकिस्तान के बाद मालदीव अब चीन का नया शिकार बनने वाला है। क्योंकि गाहे-बगाहे मालदीव का चीन प्रेम दिख ही जाता है। लेकिन ये प्रेम मालदीव को कंगाली की राह पर ले जाकर छोड़ेगा।

 

 

 बता दें ‎कि श्रीलंका और पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर बर्बाद करने में चीन का बड़ा हाथ है। दोनों देश चीनी कर्जजाल में फंस चुके हैं, और अब उसी राह पर मालदीव है। दरअसल, मालदीव भारत का एक भरोसेमंद पड़ोसी देश है। लेकिन जिस तरह से पीएम नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप की यात्रा पर मालदीव के मंत्रियों ने टिप्पणी की है, इससे नुकसान मालदीव का ही होना है। क्योंकि मालदीव की अर्थव्यवस्था में भारत का बड़ा योगदान है और कई चीजों को लेकर वो पूरी तरह से भारत पर निर्भर है। लेकिन मालदीव में चीन समर्थित सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत के साथ उसके रिश्तों में काफी तल्खी आ गई है।

 

जानकार बता रहे हैं ‎कि मालदीव की इकोनॉमी टूरिज्म पर ही ‎‎निर्भर करती है। वहां की जीडीपी का करीब 28 प्र‎तिशत हिस्सा टूरिज्म का है। जबकि फॉरेन एक्सचेंज में भी करीब 60 फीसदी योगदान टूरिज्म सेक्टर का है। ऐसे में अगर भारत मुंह फेरता है तो मालदीव को आर्थिक तौर पर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। मालदीव और भारत के बीच पिछले वर्ष 500 मिलियन डॉलर से अधिक का कारोबार भी हुआ था। इस वर्ष भी यह लगातार बढ़ भी रहा है। मालदीव और भारत के बीच तीन दशक पहले ट्रेड एग्रीमेंट हुआ है। इस एग्रीमेंट के तहत मालदीव भारत से उन वस्तुओं का आयात करता है, जो दूसरे देशों को निर्यात नहीं होता है। इसके अलावा मालदीव के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में भी भारत का पैसा लगा है। साल 2023 में भारत ने मालदीव से जहां 41002 करोड़ डॉलर का निर्यात किया था, वहीं 61.9 लाख डॉलर का आयात किया था। 2022 में निर्यात का आंकड़ा 49.54 करोड़ डॉलर था, जबकि आयात का आंकड़ा 61.9 लाख डॉलर रहा था।

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हाल में भारतीयों के लिए मालदीव एक बेस्ट टूरिस्ट स्पॉट है। वर्ष 2023 में भारत से 2,09,198 लोग मालदीव घूमने पहुंचे थे। अगर भारतीय यहां जाना बंद कर दें तो फिर मालदीव के लिए आर्थिक संकट गहरा सकता है। इससे पहले साल 2022 में 2.41 लाख, 2021 में 2.91 लाख और 2020 में कोरोना महामारी के दौरान भी 63000 भारतीय मालदीव घूमने के लिए गए थे। हिंद महासागर के द्वीप पर स्थित मालदीव की आबादी में 98 फीसदी मुस्लिम है। बाकी 2 प्रतिशत अन्य धर्म हैं, यहां की कुल आबादी करीब 5 लाख है। मालदीव करीब 1200 द्वीपों का एक समूह है। ज्यादातर द्वीपों में कोई नहीं रहता है। मालदीव का क्षेत्रफल 300 वर्ग किलोमीटर है। यानी आकार में ये दिल्ली का 5वां हिस्सा माना जाता है। यह द्वीप भारत से मुख्य रूप से स्क्रैप धातुएं आयात करता है।

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