अहमदाबाद सामाजिक कार्यकर्ता और एडवोकेट मेहूल बोघरा ने सूरत लोकसभा सीट को निर्विरोध निर्वाचन को लेकर भाजपा और कांग्रेस पर प्रहार किए हैं| मेहूल बोघरा ने कहा कि कांग्रेस को ऐसे उम्मीदवार को टिकट नहीं देना चाहिए था जो बिक जाए| भाजपा को लेकर उन्होंने कहा कि कोई बिकने को तैयार है तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे खरीद लिया जाए| बता दें कि सामाजिक मुद्दे और प्रशासन की खासकर पुलिस की दमनात्मक कार्यवाही के खिलाफ आवाज बुलंद कर सूरत समेत गुजरातभर में मशहूर हुए हैं| मेहूल बोघरा ने लोकतंत्र की हत्या के गंभीर आरोप लगाते हुए कांग्रेस और उसके उम्मीदवार को आडे हाथ लिया| उन्होंने कहा कि सूरत सीट निर्विरोध होने पर शहर के लाखों लोगों को निराशा हाथ लगी है| सूरतवासी अब लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगे, जो उनके वोट देने के मौलिक अधिकार का हनन है| मेहूल बोघरा ने कहा कि सभी उम्मीदवार अगर नामांकन वापस ले लेते हैं तो नोटा होता है| निर्वाचन आयोग को नोटा और एकमात्र उम्मीदवार के साथ भी चुनाव कराना चाहिए थे| निर्वाचन आयोग ने ऐसा क्यों नहीं किया? सूरत में हजारों युवक ऐसे भी हैं जो पहली बार अपने मताधिकार का उपयोग करते| लेकिन अब इन युवाओं को लोकसभा में वोटिंग करने के लिए पांच साल तक इंतजार करना होगा| यह लोकतंत्र विरोधी कदम है और पूरी तरह गलत है| जैसे दावा किया जा रहा है वैसे अगर शहरी इलाके खासकर सूरत में जीत निश्चित थी भाजपा ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए था| मेहूल बोघरा ने कांग्रेस समेत उसके उम्मीदवार निलेश कुंभाणी पर कड़े प्रहार किए और कहा कि बिक जाए ऐसे उम्मीदवार को टिकट ही नहीं देना चाहिए था| भाजपा को लेकर उन्होंने कहा कि अगर बिकाऊ है तो उसे खरीदना जरूरी नहीं है| भाजपा के पास राम मंदिर से लेकर कई ऐसे मुद्दे हैं जिनके दम पर चुनाव लड़कर जीत सकती थी| लेकिन भाजपा ने ऐसा नहीं किया| जिसकी वजह लाखों मतदाता अपने वोटिंग के अधिकार से वंचित रह गए|