- (नई दिल्ली) दिल्ली के डेयरी इलाकों में ऑक्सीटोसिन के इस्तेमाल पर हाई कोर्ट ने कहा- केस दर्ज करें

नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली में डेयरी संचालन के लिए निर्धारित जगहों पर प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन का अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है। इसे लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ ड्रग्स कंट्रोल को निर्देश दिया है कि वह हर हफ्ते डेयरी इलाकों का इंस्पेक्शन करे और ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल दिखाई देने पर केस दर्ज कराए। हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, ऐसे मामलों में जांच की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की होगी। पुलिस के इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट को फर्जी तरीके से ऑक्सीटोसिन के उत्पादन और वितरण में शामिल लोगों का पता लगाकर कानून के मुताबिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने सुनैना सिब्बल और अन्य की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिकाओं में राष्ट्रीय राजधानी में 9 डेयरी कॉलोनियों को कहीं बेहतर जगह पर शिफ्ट करने के निर्देश देने की मांग की गई। एक मई को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट का ध्यान उन दो फैसलों की ओर खींचा गया, जिनमें संबंधित अथॉरिटियों से डेयरी कॉलोनियों को दिल्ली की सीमा से बाहर शिफ्ट करने के लिए कहा गया था। मामले में कोर्ट कमिश्नर ने डेयरी कॉलोनियों में ऑक्सीटोसिन हार्मोन के अंधाधुंध इस्तेमाल का मुद्दा उठाया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि पशुओं को ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन उन्हें दूध देने के लिए तैयार करने और दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए दिया जाता है चूंकि, ऑक्सीटोसिन देना पशुओं के साथ क्रूरता के समान है और प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट, 1960 के सेक्शन 12 के तहत एक संज्ञेय अपराध है। इसके मद्देनजर हाई कोर्ट ने उक्त आदेश पारित किया। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने सुनैना सिब्बल और अन्य की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिकाओं में राष्ट्रीय राजधानी में 9 डेयरी कॉलोनियों को कहीं बेहतर जगह पर शिफ्ट करने के निर्देश देने की मांग की गई। एक मई को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट का ध्यान उन दो फैसलों की ओर खींचा गया, जिनमें संबंधित अथॉरिटियों से डेयरी कॉलोनियों को दिल्ली की सीमा से बाहर शिफ्ट करने के लिए कहा गया था। मामले में कोर्ट कमिश्नर ने डेयरी कॉलोनियों में ऑक्सीटोसिन हार्मोन के अंधाधुंध इस्तेमाल का मुद्दा उठाया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि पशुओं को ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन उन्हें दूध देने के लिए तैयार करने और दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए दिया जाता है। चूंकि, ऑक्सीटोसिन देना पशुओं के साथ क्रूरता के समान है और प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट, 1960 के सेक्शन 12 के तहत एक संज्ञेय अपराध है। इसके मद्देनजर हाई कोर्ट ने उक्त आदेश पारित किया। अजीत झा/ देवेन्द्र/ नई दिल्ली/ ईएमएस/04/मई /2024

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