- अर्जुन मुंडा खूंटी(। खूंटी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री सह खूंटी लोकसभा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा ने तोरपा में ग्रामीणों और बुद्धिजीवियों से संवाद के क्रम में कहा कि आजादी के इस पड़ाव में हम कैसे देश को और सशक्त बना सकते हैं।वर्त्तमान कार्यकाल और आनेवाले भविष्य की चिंता करना आवश्यक है इसलिए लोकतंत्र की महत्ता बढ़ जाती है और लोकतंत्र के महापर्व का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है। उन्होंने अन्य राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों का लक्ष्य सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित रहता है निश्चय ही चुनाव जीतना चाहिए लेकिन चुनाव जीतने का आधार को कभी कसौटी पर कसना जरूरी नहीं है क्या? वर्त्तमान राजनीतिक दलों में विश्वसनीयता की परख कितनी है और विश्वसनीयता की परख को हम कैसे देखें इसके लिए चुनावी प्रचार प्रसार के दौरान कई दलों की भ्रमित करने वाले बयान आ जाते हैं और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उन्होंने कहा कि आपके जनप्रतिनिधि वैसे हों जो सरलता से अपनी बातों को कह सके, नियमानुकूल अपनी कार्ययोजना पूरा करे और जिस स्थान से वह जनप्रतिनिधि हो उस स्थान का दायित्व पूरा करे। इसलिए आपसभी जनप्रतिनिधि के दायित्वों और कार्ययोजना के आधार पर फिर अपना जनप्रतिनिधि का चुनाव कर सकते हैं। भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत सोने की चिड़िया थी लेकिन लंबे कालखंड में सोने की चिड़ियाइस रूप में सामने आया कि सोने की चिड़िया को गिरवी रखने की बात आ गई। साथ ही देश के मुद्रा का अवमूल्यन हो गया अर्थात देश कर्ज में डूब गया। बैंकों की वित्तीय स्थिति लगातार चरमराने लगी। उन्होंन कहा कि ऐसे संकटकाल में वर्तमान प्रधानमंत्री के नेतृत्व काल में देश मे बैंकों की नकारात्मक स्थिति से उबारा गया। 2014 से 2024 के कालखंड को देखें तो बैंकों की स्थिति, बैंकों के मुनाफे और विश्व बाजार में भारत के बैंकों की स्थिति और भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो गए और अब हम 100 साल की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। इन 25 वर्षों में हम भारत को कैसे देखते हैं। भारत के बारे में हमारी सोच क्या है? कोई भी परिवार, समाज हमेशा इस बात की चिंता करता है कि परिवार के बच्चे बड़े होने के बाद कैसे आगे बढ़ेंगे। हमारी परवरिश उन्हें आगे बढ़ाने में मददगार कैसे साबित होगी, परिवार और समाज की क्या भूमिका होगी यह महत्वपूर्ण होता है। इसी तरह राष्ट्र के परिप्रेक्ष्य में कई मुद्दे एकसाथ आती हैं। सुदूरवर्ती इलाकों के साथ संवाद स्थापित कर हम बेहतर राष्ट्र के निर्माण में।अपनी भागीदारी दे सकते हैं और इसके लिए जरूरी है मतदान, हमारा मतदान का लक्ष्य क्या है? दल के दृष्टिकोण से, विचार के दृष्टिकोण से कार्यक्रमों के दृष्टिकोण से हमारी कार्ययोजना क्या है इसपर मूल्यांकन करते हुए हमें विवश भी होना पड़ता है सावधान भी होना पड़ता है और उत्साहित रहते हुए मतदान करने की आवश्यकता है।