- प्रधानमंत्री की जुमलेबाजी या सत्यता हुई उजागर?

यह तो सभी जान और मान चुके हैं कि चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियां और नेता जो कहते हैं वो मतदाताओं को लुभाने के लिए की गई जुमलेबाजी होती है। यह बात किसी के द्वारा आरोपित नहीं की गई, बल्कि जब देश की आमजनता से लेकर खास लोगों ने मोदी सरकार को वादा याद दिलाते हुए कहा, कि 15 लाख रुपये सभी के खातों में कब डाले जाएंगे? तब सरकार में रहते हुए पार्टी की तरफ से जवाब मिला कि चुनाव जीतने के लिए बहुत कुछ बोला जाता है। यह तो सिर्फ जुमलेबाजी थी। इसे पार्टी, सरकार या नेता का वादा न समझें। इसके बाद विदेश से कालाधन लाने और 2 करोड़ लोगों को नौकरी देने के साथ ही साथ सबका साथ, सबका विकास को भी जुमलेबाजी मान लिया गया। इस घटना ने देश के मतदाताओं को एक संदेश दिया कि वो अपने दिमाग का उपयोग करें और मतदान करते समय किसी प्रकार के बयान और लोभ-लालच वाले कथित वादों पर न जाएं। बल्कि जिसका हृदय देश और सबका भला चाहता हो, उसे अपना प्रतिनिधि चुन संसद भेजें। इसके बाद पार्टी नेताओं ने जुमलेबाजी पर सत्यता तलाश करने की भी बात इशारों में करना शुरु कर दी, लेकिन यहां पर भी भारी चूक हो गई। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी सभा में ऐसा कुछ कह दिया, yle="display:block; text-align:center;" data-ad-layout="in-article" data-ad-format="fluid" data-ad-client="ca-pub-7418048765940543" data-ad-slot="8599940242"> जिससे यह संदेश गया कि प्रधानमंत्री जानते हैं कि अडानी-अंबानी के पास अकूत संपत्ति में काला धन मौजूद है, जिसमें से उन्होंने विपक्ष को भी थोड़ा चुनावी-चंदे के तौर पर दान में दे दिया है। संभवत: विपक्ष का मौन इसी वजह से है। इस पर अफसोस और चिंता की बात तो यह है कि पीएम मोदी जानते हुए भी अपने पिछले दो कार्यकाल में इन कालाधन एकत्र करने वाले अडानी और अंबानी जैसे लोगों के खिलाफ एक बार भी कार्रवाई नहीं कर पाए। विपक्षी दलों की ओर से अब सवाल किए जा रहे हैं कि आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है, जिसके चलते इन कालाधन कारोबारियों पर मामले तक दर्ज नहीं करवाए गए और न ही आगे कोई कार्रवाई करने की बात कही जा रही है। यूं कालेधन के नाम पर विपक्ष को घेरना तो पीएम मोदी नहीं भूले, लेकिन यह भूल गए कि उनकी जिम्मेदारी सिर्फ कालाधन रखने और देने-लेने वालों के नाम उजागर करना नहीं है, बल्कि उनके खिलाफ देशहित में सख्त कार्रवाई करने की भी अहम जिम्मेदारी है। इसलिए अब विपक्ष के निशाने पर आए पीएम मोदी के लिए यह कहा जा रहा है कि कभी-कभी सरस्वती स्वयं जिव्हा पर विराजमान हो व्यक्ति से सत्य भी उजागर करवा ही देती हैं। ऐसे में यह मान लिया जाना चाहिए कि जब प्रधानमंत्री मोदी अडानी-अंबानी का नाम लेकर विपक्ष को घेरने का प्रयास कर रहे थे, तब ही उनसे यह सच उजागर हो गया कि वो जानते हैं कि कालाधन किस-किस के पास मौजूद है और कौन किससे कालाधन लेकर क्या कर रहा है। yle="display:block; text-align:center;" data-ad-layout="in-article" data-ad-format="fluid" data-ad-client="ca-pub-7418048765940543" data-ad-slot="8599940242"> प्रधानमंत्री मोदी की ओर से अंबानी और अडानी को लेकर दिए गए बयान पर कांग्रेस नेता अब हमलावर हैं। शुरुआत कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और स्टार चुनाव प्रचारक राहुल गांधी से करते हैं, जिन्होंने पीएम मोदी के बयान का जवाब देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के टेम्पु का ड्राइवर कौन और खलासी कौन है, यह पूरा देश जानता है। यह भी सत्य है, क्योंकि अंबानी-अडानी खुद से कुछ करने से रहे, इसलिए उन्हें चलाने वाला भी तो कोई और ही होगा, जिसका जिक्र इशारों में यहां किया जा रहा है। इसके बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का बयान सामने आता है, जो खासा मायने रखता है। दरअसल गहलोत और डोटासरा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि अब तो पीएम मोदी ने भी मान लिया है कि अडानी और अंबानी के पास कालाधन है। पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, चलो यह खुलासा तो प्रधानमंत्री जी ने बेबाकी से कर ही दिया कि अडानी-अंबानी के पास अकूत कालाधन मौजूद है, जिस पर हाथ डालने की हिम्मत वे दस सालों में भी नहीं कर पाये। अब मोदी जी को यह भी बतला देना चाहिए कि आज से पहले नोटों से भरे बोरे और टेम्पो किनके यहां खाली होते थे। यहां गहलोत ने भले ही पीएम मोदी को घेरने का प्रयास किया हो, लेकिन सत्यता तो यही है कि जिसकी भी सरकार आती है वह यह तो अच्छी तरह से जानती है कि कौन भ्रष्ट है और कौन ईमानदारी से काम करना जानता है, लेकिन सभी पहले अपना और पार्टी का हित देखते हैं, फिर कार्रवाई होगी या नहीं यह तय किया जाता है। ऐसा ही कुछ मोदी सरकार से उम्मीद की जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने तो अपने पूरे कार्यकाल में यह भूला ही नहीं कि वो भाजपा को एक बार फिर जितवाने के लिए सत्ता में आए हैं। इस कारण वो कभी चुनावमोड से बाहर आए ही नहीं। उनका हर कदम चुनाव जीतने के लिए उठाया गया कदम होता था, है और आगे भी यही रहेगा। यह विपक्ष अच्छी तरह से जानता है। विपक्ष इस मामले में बहुत पीछे रह गया है, क्योंकि पूर्व की सरकारों में ऐसा बहुत ही कम से हुआ है, जबकि प्रधानमंत्री चुनाव की खातिर छोटी से छोटी जगह पहुंचे हों और पार्टी की तरफ से मतदाता से बात की हो। yle="display:block; text-align:center;" data-ad-layout="in-article" data-ad-format="fluid" data-ad-client="ca-pub-7418048765940543" data-ad-slot="8599940242"> इस दर्द का एहसास गहलोत को भी है, इसलिए इसी पोस्ट में वो आगे मायूसी भरे लहजे में कह जाते हैं कि राहुल गांधी तो लम्बे समय से सत्य के साथ संघर्ष कर रहे हैं। अंतिम विजय सत्य की होती है। 4 जून को न्याय और सत्य की विजय होगी। इस बात को कहते हुए जो दम दिखाया जाना चाहिए था वह नहीं दिखाया गया। इसके लिए धन की कमी जो आड़े आ रही है। वहीं पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखते हैं, प्रधानमंत्री जी राहुल गांधी जी हर दिन अडानी-अंबानी की सच्चाई देश को बता रहे हैं- चंदा दो, धंधा लो स्कीम से इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए भाजपा की वसूली का खुलासा कर रहे हैं। यही नहीं डोटासरा तो बकायदा गिनती करते हुए बतलाते हैं कि राहुल गांधी ने कितनी बार किस मकसद से किसका नाम लिया है। उन्होंने कहा कि राहुल जी ने 3 अप्रैल से अब तक करीब 103 बार अडानी और 30 बार अंबानी का नाम लेकर इस भ्रष्टाचार की सच्चाई देश को बताई है। अब स्वयं आपने भ्रष्टाचार स्वीकार कर लिया है, तो अडानी और अंबानी के काले धन की जांच कराइये। बहरहाल यह सभी जानते हैं कि इस समय कुछ होना नहीं है। हॉं चुनाव बाद जो नई सरकार बनेगी यदि वो चाहेगी तो जरुर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लगाम कसने का काम कर सकेगी, वर्ना जैसा चल रहा है वो तो सभी को दिख ही रहा है। आप खुद सोचें कि प्रधानमंत्री जैसे अतिजिम्मेदार पद पर रहते हुए यूं ही कोई यह नहीं कह सकता कि कौन काला धन कहां पहुंचा रहा है और कौन किससे काला धन ले रहा है। yle="display:block; text-align:center;" data-ad-layout="in-article" data-ad-format="fluid" data-ad-client="ca-pub-7418048765940543" data-ad-slot="8599940242">

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