Bhopal News: ट्रेनों में लंबी वेटिंग से राहत देने के लिए रेलवे ने स्पेशल ट्रेनों को चलाया। इतना ही नहीं इनमें सफर करने वाले यात्रियों को स्पेशल फेयर भी वसूला, लेकिन न तो स्पेशल ट्रेनों की लेटलतीफी पर रेलवे लगाम लगा सका और न ही उनकी रफ्तार बढ़ा पाया। इसका असर यह हुआ कि नियमित ट्रेनों की तुलना में 70 से 80 फीसदी स्पेशल ट्रेनें अपने निर्धारित समय से देरी से चल रही हैं।
कोरोना काल के बाद रेलवे ने तेजी से स्पेशल ट्रेनों की संख्या में इजाफा किया है। स्पेशल ट्रेनों की आड़ में रेलवे की ओर से नियमित ट्रेनों को नहीं चलाया गया। जिन क्षेत्रों से यात्री ट्रेनों को चलाने की मांग आई, वहां स्पेशल ट्रेनों को चला दिया गया। इतना ही नहीं इन स्पेशल ट्रेनों के जरिए रेलवे ने किराया भी बढ़ा दिया, जो सामान्य ट्रेनों की तुलना में 15 से 20 फीसदी ज्यादा किराया है। इतना सब होने के बाद भी इन ट्रेनों को न तो समय पर चलाया जा रहा है और न ही समय पर गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है। उल्टे इन ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को न तो कोच में सफाई मिल रही है न ही पीने का पानी। यात्रियों की माने तो रेलवे उनके साथ स्पेशल ट्रेन और स्पेशल किराए लेकर गंतव्य तक समय पर पहुंचाने के नाम पर ठगी कर रहा है।
5 से 20 फीसदी तक अतिरिक्त किराया देकर स्पेशल ट्रेन में सफर करने वाले यात्री, खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। हकीकत यह है कि जबलपुर समेत भोपाल और कोटा मंडल में नियमित ट्रेनों को समय पर चलाने के लिए स्पेशल ट्रेनों को देरी से चलाया जा रहा है। इन ट्रेनों को कहीं भी कभी भी खड़ा कर दिया जा रहा है। इतना ही नहीं इन ट्रेनों की पंचुल्टी 50 फीसदी से नीचे पहुंच गई है। यही वजह है कि यात्री, हर हाल में नियमित ट्रेनों में ही आरक्षण कराने पर जोर देता है, फिर भले ही इसके लिए उसे तत्काल या प्रीमियम किराया देना हो।
नियमित ट्रेनों को समय दौड़ाने के लिए जबलपुर मंडल ही नहीं बल्कि भोपाल और कोटा मंडल हर संभव कदम उठा रहा है, लेकिन इस बीच वह तीनों मंडल से रवाना होने वाली स्पेशल ट्रेन हो या फिर यहां से गुजरने वाली स्पेशल ट्रेन, दोनों को समय पर नहीं चला पा रहा। इन ट्रेनों को स्टेशन के आउटर पर घंटों खड़ा कर दिया जाता है। इस वजह से यह ट्रेनें अपने निर्धारित समय से 22 से 24 घंटे तक देरी से चल रही हैं।