वृंदा करात ने कहा कि जन सुराज पार्टी चुनावी दौड़ में नहीं है। प्रशांत किशोर ने अहम मुद्दे उठाए और दावा किया कि बिहार में अगली सरकार महागठबंधन की बनेगी।
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच, वरिष्ठ माकपा नेता वृंदा करात ने बुधवार (29 अक्टूबर) को कहा कि जन सुराज पार्टी चुनावी दौड़ में नहीं है। हालाँकि, इसके संस्थापक प्रशांत किशोर ने राज्य से जुड़े कुछ अहम मुद्दे उठाए हैं, जो युवाओं के एक वर्ग को पसंद आ रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार में अगली सरकार महागठबंधन की बनेगी।
वृंदा करात ने कहा कि जन सुराज पार्टी में मज़बूत संगठनात्मक ढाँचे का अभाव है। उन्होंने कहा कि जन सुराज चुनावी दौड़ में नहीं है। प्रशांत किशोर ने कुछ अहम मुद्दे उठाए हैं, लेकिन उनके पास न तो बूथ स्तर की समिति है और न ही कोई संगठन। सिर्फ़ मुद्दे उठाकर चुनाव नहीं जीते जा सकते।
एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला - करात
वरिष्ठ माकपा नेता वृंदा करात ने कहा कि इस बार बिहार में सीधा मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन के बीच है। महागठबंधन ने जनता के बीच अपनी पकड़ मज़बूत कर ली है, जबकि एनडीए अंदरूनी मतभेदों से जूझ रहा है।
'मुख्यमंत्री पद को लेकर एनडीए में बड़ा संकट'
करात ने दावा किया कि मुख्यमंत्री पद को लेकर एनडीए में बड़ा संकट है। उन्होंने कहा कि भाजपा कह रही है कि चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़े जा रहे हैं, लेकिन वे नीतीश को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से डर रहे हैं। जिस दिन वे यह घोषणा करेंगे, एनडीए बिखर जाएगा।
नीतीश कुमार अपनी उम्र के कारण मुख्यमंत्री नहीं बन पाएँगे - करात
वृंदा करात ने यह भी कहा कि बिहार की जनता समझ गई है कि अगर एनडीए दोबारा सत्ता में आती है, तो नीतीश कुमार अपनी उम्र और अन्य कारणों से मुख्यमंत्री नहीं बन पाएँगे। अगर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं, तो कौन बनेगा? उन्होंने महागठबंधन की एकजुटता पर भरोसा जताया, लेकिन कुछ सीटों पर "दोस्ताना मुकाबले" को लेकर चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर महागठबंधन के घटक दल आपस में ही लड़ रहे हैं। कांग्रेस को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
"बिहार में बदलाव महागठबंधन से ही संभव है।"
करात ने यह भी कहा कि माकपा जनता के असली मुद्दों - रोज़गार, शिक्षा, महंगाई और किसानों की समस्याओं - को लेकर मैदान में है। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता बदलाव चाहती है और यह बदलाव महागठबंधन से ही संभव है। उन्होंने अंत में कहा कि "जन सुराज" जैसे नए प्रयोग वैचारिक स्तर पर दिलचस्प हैं, लेकिन संगठन के बिना राजनीति में टिके रहना मुश्किल है।