जनवरी में संसद में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.3 से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.8% से अधिक रहने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि जीएसटी दरों में कमी और आयकर में राहत के कारण खपत में वृद्धि इसका मुख्य कारण है।
जनवरी में संसद में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.3 से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम, "ग्लोबल लीडरशिप समिट 2025" को संबोधित करते हुए, नागेश्वरन ने कहा कि उन्हें 6.8% से अधिक की वृद्धि दर की उम्मीद है।
देश की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।
उन्होंने आगे कहा कि अगस्त में चिंता थी कि विकास दर 6% से 7% के निचले स्तर पर रह सकती है, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि यह 6.5% से अधिक और संभवतः 6.8% से भी अधिक होगी। हालाँकि, 7% का अनुमान लगाने से पहले हमें दूसरी तिमाही के आँकड़ों का इंतज़ार करना होगा।
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.8% रही। यह वृद्धि मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन और व्यापार, होटल, वित्तीय सेवाओं और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों की मज़बूती के कारण हुई। इससे पहले, जनवरी-मार्च 2024 तिमाही में 8.4% की उच्चतम जीडीपी वृद्धि दर्ज की गई थी। वहीं, अप्रैल-जून तिमाही में चीन की विकास दर 5.2% रही। इस प्रकार, भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
भारत-अमेरिका समझौता जल्द होने की उम्मीद
नागेश्वरन ने कहा कि अगर भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) हो जाता है, तो इससे आर्थिक विकास को और बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर व्यापार के मोर्चे पर कोई समाधान निकलता है, तो विकास अनुमान और भी ज़्यादा हो सकते हैं। उन्होंने जल्द ही समझौते की उम्मीद भी जताई, हालाँकि उन्होंने कोई समय-सीमा नहीं बताई।
वर्तमान में, अमेरिका ने 27 अगस्त से भारत से आयातित वस्तुओं पर 50% का उच्च टैरिफ लगाया है, साथ ही रूस से कच्चा तेल खरीदने पर 25% का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 7 अगस्त को ये टैरिफ लगाए थे, यह कहते हुए कि भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखकर और व्यापार बाधाओं को बनाए रखकर अमेरिकी हितों को नुकसान पहुँचाया है।