अमृतसर। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई अगले एक साल तक कोर्ट में पेश नहीं होगा। यह फैसला केन्द्र सरकार ने उसकी सुरक्षा के मद्देनजर लिया है। हालांकि लारेंस विश्नोई का मुद्दा शुरू से अहम रहा है। जब मूसेवाला हत्याकांड में पुलिस उसे पंजाब लेकर आई थी, तब उसके वकीलों ने उसकी सुरक्षा को लेकर अदालत में याचिका दायर की थी। इसके बाद कड़ी सुरक्षा व बुलेट प्रूफ गाड़ियों में उसे पंजाब लाया गया है। पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का मास्टर माइंड व कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई अब पंजाब समेत विभिन्न राज्यों में दर्ज केसों में फिजिकल रूप में पेश नहीं होगा। गुजरात की अहमदाबाद स्थित सेंट्रल जेल से वह ऑनलाइन या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी भुगतेगा। केंद्र सरकार ने उनकी सुरक्षा को देखते हुए उस पर सीआरपीसी की धारा 268 लगा दी है। यह बात उस समय सामने आई है जब नशा तस्करी से जुड़े एक केस में लॉरेंस को अमृतसर अदालत ने तलब किया था।
उस दौरान गुजरात की जेल की तरफ से उसकी पेशी को लेकर यह जानकारी ईमेल के माध्यम से अदालत को भेजी गई है। अमृतसर की अदालत ने एनडीपीएस से जुड़े केस में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को पेश करने के लिए बठिंडा जेल में समन भेजे थे। इसके बाद बठिंडा जेल अथॉरिटी ने इस समन को ईमेल के माध्यम से अहमदाबाद जेल अथॉरिटी को भेजा था। इसके बाद 6 नवंबर को अहमदाबाद जेल से अमृतसर अदालत को जवाब भेजा गया। इसमें बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से इस मामले में सीआरपीसी 268 लगा दी है। ऐसे में अगले एक साल तक लॉरेंस बिश्नोई ऑनलाइन अपनी पेशी करेगा। निजी रूप में वह पेशी के लिए अदालत नहीं आएगा।
यहां गौरतलब है कि तीन महीने पहले 23 अगस्त को लॉरेंस बिश्नोई को सेंट्रल जेल बठिंडा से गुजरात शिफ्ट किया गया था। इस दौरान उसे जहाज से गुजरात भेजा गया था। वहां पर उस पर नशा तस्करी से जुड़ा केस दर्ज है। असल में जब किसी मामले में राज्य या केंद्र सरकार दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 268 का प्रयोग करती है, तो उसकी तीन वजह हो सकती हैं। एक तो यह है कि ऐसा व्यक्ति जेल में बंद है, जिसने कोई जघन्य अपराध किया हुआ है। साधारण भाषा में कहें तो राज्य सरकार जेल में बंद ऐसे व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष पेश होने पर रोक लगा सकती है जिसके कारण लोकशांति, लोक-व्यवस्था भंग होने की संभावना हो।