भारत सरकार दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों के लिए चीन पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रही है। भारी उद्योग मंत्रालय जल्द ही दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए 1000 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना लाएगा। इसमें कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है। सरकार जापान से आयात पर भी विचार कर रही है, हालांकि यह महंगा है।
नई दिल्ली। दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों की आपूर्ति के प्रति चीन के प्रतिकूल रवैये को देखते हुए सरकार अब घरेलू स्तर पर इसकी उपलब्धता बढ़ाने का प्रयास कर रही है। भारी उद्योग मंत्रालय जल्द ही दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए 1000 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना ला सकता है।
सरकार दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों से जुड़ी प्रसंस्करण इकाइयों को प्रोत्साहन देगी। घरेलू स्तर पर दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों के उत्पादन में पांच से अधिक कंपनियों ने अपनी रुचि दिखाई है और इस संबंध में उन्होंने भारी उद्योग मंत्रालय से चर्चा भी की है।
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इसके अलावा जापान से दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों के आयात के प्रयास भी किए जा रहे हैं और इस दिशा में जापान सरकार से बातचीत चल रही है।
हालांकि, जापान से दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों का आयात लागत चीन से अधिक है। दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा क्षेत्र से संबंधित विनिर्माण में किया जाता है। भारी उद्योग मंत्रालय भारतीय दुर्लभ पृथ्वी लिमिटेड (आईआरईएल) के साथ मिलकर अगले 10-15 दिनों में दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक विनिर्माण योजना की घोषणा कर सकता है। आईआरईएल दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों का उत्पादन करता है और उन्हें विनिर्माण इकाइयों को आपूर्ति करता है। आईआरईएल दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक बनाने वाली कंपनियों को 500 टन तक कच्चा माल उपलब्ध करा सकता है।
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, देश में दुर्लभ पृथ्वी खनिज पर्याप्त मात्रा में हैं और इसके उत्पादन में तेजी लाने के लिए यह योजना लाई जा रही है। दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक बनाने वाली कंपनियां अपनी आधी क्षमता पर काम कर रही हैं। सूत्रों का कहना है कि भारत में खनिज क्षमता 130 लाख टन और दुर्लभ पृथ्वी की क्षमता 69 लाख टन है। वर्तमान में भारत में दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों का आयात मुख्य रूप से चीन से होता है। पिछले कुछ महीनों से चीन ने दुर्लभ पृथ्वी चुम्बकों की आपूर्ति को सीमित करने का निर्णय लिया है।
चीन इन वस्तुओं का निर्यात सरकारी स्तर पर ही करना चाहता है। दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों की कमी के कारण भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल क्षेत्र का उत्पादन प्रभावित हो सकता है, हालांकि मंत्रालय का कहना है कि दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित होने की अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है। दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों की कमी को देखते हुए कंपनियां अब दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों का उपयोग करके बनाए गए पूरे घटकों को आयात करने की योजना बना रही हैं। ऐसी स्थिति में भारत में उन घटकों का उत्पादन बंद हो सकता है जिनमें दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों की आवश्यकता होती है। इससे भारत के मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर असर पड़ेगा।