मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से हलचल शुरु हो गई है। एकनाथ शिंदे के मंत्री छगन भुजबल ने जहां रैली निकालकर अपनी ताकत दिखाई है, वहीं एक नए मोर्चे के बनने की चर्चाएं भी जारों पर है। इस तरह से महराष्ट्र में लगातार नए खेमों का तैयार होना जारी है। गौरतलब है कि मराठा आरक्षण आंदोलन पर अब तक एकनाथ शिंदे सरकार कोई हल नहीं निकाल सकी है। इस बीच ओबीसी जातियों की खेमेबंदी नई टेंशन दे रही है।
दिलचस्प बात यह है कि सरकार में ही मंत्री छगन भुजबल इस खेमे का नेतृत्व कर रहे हैं। चर्चा तो यह भी है कि वह ओबीसी के नाम पर एक नई पार्टी या फिर मोर्चा खड़ा कर सकते हैं। 17 नवंबर को जालना में हुई ओबीसी रैली के बाद से इसके कयास लग रहे हैं। वहां मौजूद कई वक्ताओं ने छगन भुजबल से ओबीसी मोर्चे की लीडरशिप संभालने को कहा। यही नहीं उन्हें सीएम बनाने तक की मांग भी की गई। महाराष्ट्र की राजनीति में एक तरफ मनोज जारांगे पाटिल के नेतृत्व में मराठा आंदोलन जोर पकड़ रहा है तो वहीं छगन भुजबल और कांग्रेस नेता विजय वडेत्तिवार एक ओबीसी मोर्चा खड़ा करने की कोशिश में हैं।
दरअसल दोनों नेता लंबे समय से साइडलाइन चल रहे हैं। ऐसे में इन्हें लगता है कि मराठा आंदोलन के मुकाबले वह ओबीसी जातियों को साथ ला सकते हैं। छगन भुजबल लगातार कहते रहे हैं कि मराठाओं को ओबीसी का दर्जा नहीं दिया जा सकता। यदि ऐसा होता है तो यह ओबीसी समाज के हक कीमत पर होगा। इस मोर्चे को लेकर कयास इसलिए तेज हैं क्योंकि विजय वडेत्तिवार ने यहां तक कह दिया है कि वह इस मसले पर कांग्रेस तक छोड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि यदि छगन भुजबल ओबीसी समाज का नेतृत्व करना चाहें तो मैं पार्टी छोड़कर आने को तैयार हूं।
बताया जा रहा है कि इस मोर्चे की रैली में एक पीला झंडा भी फहराया गया। इसी की ओर इशारा करते हुए विजय वडेत्तिवार ने कहा कि यदि हम जहां हैं, वह न्याय नहीं मिलता है तो फिर हम यहां लगे पीले झंडे को सेल्यूट करते हैं और साथ आने की शपथ लेते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम साथ आते हैं तो फिर महाराष्ट्र की राजनीतिक तस्वीर ही बदल देंगे। यह रैली आरक्षण बचाओ यलगार सभा के बैनर तले की गई थी। इस दौरान जमकर नारेबाजी भी की गई थी।