चंडीगढ़ । मार्च 2023 में जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के जारी हुए 2 इंटरव्यू को लेकर 2 सदस्यों वाली जांच कमेटी की रिपोर्ट पर कोर्ट ने असंतुष्टि जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि 9 महीने की जांच में यह सुनिश्चित नहीं हो सका कि उक्त दोनों इंटरव्यू किस जेल से हुए, उसके पीछे कौन अधिकारी थे और कितने लोगों पर कार्रवाई हुई। इतना ही नहीं हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई जोकि बड़ी लापरवाही कही जा सकती है।
यहां तक कि लॉरेंस की खरड़ में पुलिस कस्टडी और बठिंडा जेल में भी जांच नहीं हुई, जहां वह इंटरव्यू वाले दिनों में रहा था। जस्टिस अनुपिंद्र सिंह पर आधारित बैंच ने पंजाब के डीजीपी को आदेश दिए हैं कि इस मामले में 2 अलग-अलग एफआईआर दर्ज करे। एफआईआर दर्ज होने के बाद मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट ने एसआईटी का गठन भी किया हैं जिसकी अगुवाई मानव अधिकार विंग के डीजीपी प्रमोद कुमार को दी गई। जिनके साथ आई.पी.एस. अधिकारी डॉ. एस. राहुल व नीलांबरी जगदले को एस.आई.टी. में शामिल किया गया है। एसआईटी चाहे तब कोर्ट मित्र व पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की सेवाएं भी जांच में ले सकती है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को लेकर सामने आने वाले हर पहलू को हाईकोर्ट मॉनिटर करेगा।
जस्टिस सिंह ने कहा कि अपराधी को हीरो बनाकर दिखाना देश की सुरक्षा के लिए खतरा है, जबकि युवाओं को अपराध की दुनिया में न्यौता देना है जोकि मीडिया की आजादी का हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जिस प्रकार इंटरव्यू प्रसारित हुआ उस 18 लाख मिलियन लोगों ने देखा जिससे युवा वर्ग के दिमाग में यह बैठ गया कि गैंगस्टर का लाइफ स्टाइल बेहतर है जिसमें पैसा और लोकप्रियता दोनों हैं, जो उनके भविष्य में नकारात्मक भूमिका निभा सकता है। कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि हर एक नैटवर्क से उक्त इंटरव्यू को डिलीट करवाया जाए। कोर्ट मित्र ने बताया कि लारेंस के खिलाफ एक्सटॉर्शन, हत्या, हत्या के प्रयास सहित अन्य धाराओं के तहत 71 मामले दर्ज हैं जिनमें से 4 में उसे सजा हो चुकी है।