नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि वह उस नाबालिग लड़की के बारे में कथित संवेदनशील विवरण वाले ट्वीट को हटा दूंगा। जिसके साथ 2021 में कथित तौर पर बलात्कार हुआ था और बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी। नौ साल की उस लड़की की पहचान उजागर करने के कारण कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली याचिका दायर की गई थी।
राहुल के वकील ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान बयान दिया, जब अदालत ने कहा कि वह इसके लिए न्यायिक आदेश जारी करना नहीं चाहती।कार्यवाही के दौरान दिल्ली पुलिस के वकील ने अदालत को सूचित किया कि याचिका अब निरर्थक है, क्योंकि सभी अनुरोधित कार्रवाई पूरी हो चुकी है। राहुल गांधी की चल रही जांच की जटिलता पर गौर किया और स्पष्ट किया कि नाबालिग पीड़िता की मौत का कारण बिजली का झटका था, बलात्कार और हत्या के दावों का समर्थन करने वाला कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं था।
पीड़ित परिवार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील महमूद प्राचा ने अदालत से मुकदमे की समग्रता बनाए रखने के लिए मामले के विवरण पर खुले तौर पर चर्चा करने से बचने का आग्रह किया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि अपराध के सबूत के बावजूद नाबालिग की पहचान का खुलासा करना पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध है। अदालत ने दिल्ली पुलिस को चार सप्ताह के भीतर सीलबंद लिफाफे में राहुल गांधी की जांच पर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी 2024 को होनी है।
दरअसल 1 अगस्त, 2021 को नौ वर्षीय एक नाबालिग लड़की की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, उसके माता-पिता ने आरोप लगाया था कि दिल्ली के ओल्ड नंगल गांव में एक श्मशान के पुजारी ने उसके साथ बलात्कार किया, हत्या की और उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया। सामाजिक कार्यकर्ता मकरंद सुरेश म्हादलेकर ने 2021 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 का उल्लंघन किया है, जो यौन उत्पीड़न का शिकार हुए नाबालिगों की पहचान को प्रतिबंधित करता है।