पूर्वी दिल्ली में अतिक्रमण की समस्या गंभीर बनी हुई है। जिला विकास समिति के चेयरमैन द्वारा अतिक्रमण हटाने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। दुकानदारों ने सर्विस रोड पर फिर से कब्जा कर लिया है, जिससे यातायात बाधित हो रहा है। आरोप है कि पुलिस और निगम कर्मचारियों की मिलीभगत से अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं और रिश्वतखोरी का बोलबाला है।
पूर्वी दिल्ली। राजधानी में अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है। दिल्ली सरकार भले ही अतिक्रमण हटाने के तमाम प्रयास कर रही हो। लेकिन सरकारी विभाग उन प्रयासों पर पानी फेर रहे हैं।
जिला विकास समिति इलाके में ताकतवर मानी जाती है। शाहदरा जिला विकास समिति के चेयरमैन जितेंद्र महाजन ने 4 जून को अपने सामने ही अशोक नगर में वजीराबाद रोड से अतिक्रमण हटवाया था।
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दैनिक जागरण संवाददाता ने एक सप्ताह बाद मंगलवार को पड़ताल की कि इस कार्रवाई का कितना असर हुआ। चेयरमैन के सामने जिस जगह से अतिक्रमण हटाया गया, वहां की स्थिति देखकर ऐसा नहीं लगा कि कार्रवाई से कोई फर्क पड़ा है।
दुकानदारों ने सर्विस रोड पर पहले की तरह ही अतिक्रमण कर रखा है। फुटपाथ पर अवैध पार्किंग हो रही है। रेहड़ी-पटरी वाले पहले की तरह खड़े हैं। यहां कई वाहन शोरूम हैं। कमेटी अध्यक्ष ने अपने निरीक्षण में सख्त हिदायत दी कि शोरूम संचालक सर्विस रोड को पार्किंग न बनाएं और दुकानदार दुकानों के बाहर सामान रखकर अतिक्रमण न करें। पुलिस से कहा गया कि जिस स्थान से अतिक्रमण हटाया जा रहा है, वहां दोबारा अतिक्रमण न हो। लेकिन अतिक्रमणकारियों के लिए उनके आदेश बेमानी साबित हुए।
पहले की तरह ही अतिक्रमण हो रहा है। जागरण ने अतिक्रमणकारियों से बात की तो क्या उन्हें पुलिस, निगम और पीडब्ल्यूडी का कोई डर नहीं है। अतिक्रमण करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस पर उन्होंने कहा कि यह खेल है। वहीं, कार्रवाई होने से पहले उन्हें पुलिसकर्मियों और निगम कर्मचारियों से पता चल जाता है कि टीम आने वाली है। वे कुछ देर के लिए अतिक्रमण हटाते हैं। टीम के जाने के बाद फिर से लगा देते हैं। बदले में वे कर्मचारियों और अधिकारियों को पैसे भी देते हैं। निगम अगर वेडिंग जोन बना दे तो भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लग जाएगा।
सवाल यह उठ रहा है कि अगर चेयरमैन के सड़क पर उतरने के बाद भी अतिक्रमण पर अंकुश नहीं लग रहा है तो ऐसी कार्रवाई का क्या फायदा। निगम और पीडब्ल्यूडी भले ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर औपचारिकता कर अपनी पीठ थपथपा लें, लेकिन सड़कों की हालत सच्चाई बयां कर रही है। इस मामले में समिति के चेयरमैन जितेंद्र महाजन से पूछा गया तो उन्होंने बैठक में मुद्दा उठाया था कि पीडब्ल्यूडी और निगम अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिर्फ औपचारिकता करते हैं।
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4 जून को वे अधिकारियों के साथ अशोक नगर गए थे, जहां से निगम ने अतिक्रमण हटाया था। उन्हें मौके पर अतिक्रमण मिला था, उन्होंने उसे हटवाया भी था। उनके निरीक्षण के बाद भी हालात क्यों नहीं बदले। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब निगम और पुलिस की जवाबदेही तय होगी। अगर दोबारा अतिक्रमण हुआ तो कोई न कोई विभाग जिम्मेदार होगा।