तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा का 90वां जन्मदिन धर्मशाला में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस जश्न पर चीन की नजरें भी रहेंगी। ऐसी अटकलें हैं कि दलाई लामा अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर सकते हैं। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के कई मंत्री भी यह संभावना जता चुके हैं। दलाई लामा ने अपनी किताब में लिखा था कि उनका उत्तराधिकारी चीन से बाहर, संभवत: भारत में पैदा होगा।
धर्मशाला। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा अगले सप्ताह अपना 90वां जन्मदिन मनाएंगे। दलाई लामा का जन्मदिन 6 जुलाई को धर्मशाला के मैक्लोडगंज में धूमधाम से मनाया जाएगा। वहीं, इस जश्न पर चीन की नजरें भी भारत पर रहेंगी। ऐसी अटकलें हैं कि दलाई लामा अपने 90वें जन्मदिन पर अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर सकते हैं। 
आपको बता दें कि केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के कई मंत्री दलाई लामा के जन्मदिन पर उत्तराधिकारी की घोषणा करने की संभावना जता चुके हैं। सीटीए चुनाव प्रमुख पेनपा त्सेरिंग और उपाध्यक्ष डोलमा त्सेरिंग का नाम भी इस सूची में शामिल है।
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्न' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं।
youtube- https://www.youtube.com/@bejodratna646
धर्मशाला में होगा तीन दिवसीय कार्यक्रम
निर्वासित तिब्बती सरकार का मुख्यालय भी मैकलोडगंज में मौजूद है। ऐसे में दलाई लामा के जन्मदिन का कार्यक्रम 2 जुलाई से शुरू होगा, जो तीन दिनों तक चलेगा। इस दौरान धर्मशाला में तिब्बती बौद्ध नेताओं का जमावड़ा देखने को मिलेगा। वैसे तो दलाई लामा का जन्मदिन 6 जुलाई को है, लेकिन तिब्बती कैलेंडर के अनुसार दलाई लामा कल यानी 1 जुलाई को 90 साल के हो जाएंगे।
उत्तराधिकारी पर दलाई लामा ने तोड़ी थी चुप्पी
आपको बता दें कि दलाई लामा ने अपनी किताब वॉयस फॉर वॉयसलेस में चीन को बड़ा झटका दिया था। उन्होंने साफ शब्दों में लिखा था कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर पैदा होगा और संभव है कि वह देश भारत हो। दलाई लामा ने अपनी किताब में लिखा था-
पुनर्जन्म का उद्देश्य पूर्ववर्ती के कार्यों को आगे बढ़ाना होता है। ऐसे में नए दलाई लामा का जन्म मुक्त विश्व में हो सकता है, ताकि तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता के साथ तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं को मूर्त रूप देने के पारंपरिक मिशन को आगे बढ़ाया जा सके।
1959 में आए थे भारत
आपको बता दें कि तिब्बत में विफल विद्रोह के बाद दलाई लामा 1959 में भारत आए थे। 1989 में दलाई लामा को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। हालांकि, चीन दलाई लामा को अलगाववादी कहता है। ऐसे में दलाई लामा के उत्तराधिकारी की घोषणा चीन की चिंता बढ़ा सकती है।