बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की समीक्षा पर विपक्ष के आरोप का चुनाव आयोग ने जवाब दिया है. चुनाव आयोग ने कहा है कि मतदाता सूची की समय-समय पर समीक्षा जरूरी है, ताकि नए मतदाता जुड़े और पुराने मतदाताओं की स्थिति स्पष्ट हो.
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा पर विपक्षी दलों की आपत्ति के बीच चुनाव आयोग ने सोमवार को स्पष्ट किया कि मतदाता सूची एक गतिशील सूची है, जो समय-समय पर बदलती रहती है, इसलिए इसकी नियमित समीक्षा अनिवार्य है. चुनाव आयोग ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 में प्रावधान है कि केवल भारतीय नागरिक, जो 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं और निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य निवासी हैं, मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकते हैं.
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गहन समीक्षा क्यों जरूरी है? चुनाव आयोग ने बताया कि मतदाता सूची में लगातार बदलाव होते रहते हैं क्योंकि कई मतदाताओं की मृत्यु हो जाती है. कुछ लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाते हैं और नए युवा मतदाता 18 वर्ष पूरे करके मतदाता बनने के योग्य हो जाते हैं. इन कारणों से समय-समय पर मतदाता सूची को अपडेट करना जरूरी है, ताकि कोई अपात्र व्यक्ति इसमें शामिल न हो और कोई पात्र नागरिक छूट न जाए।
विपक्ष की आपत्ति और चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि इस तरह की गहन समीक्षा से राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करके जानबूझकर मतदाताओं को बाहर किया जा सकता है। इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया नियमों के अनुसार और पारदर्शिता के साथ की जाती है और इसका उद्देश्य किसी को बाहर करना नहीं, बल्कि सही और अपडेट सूची बनाना है।
2003 बिहार मतदाता सूची सार्वजनिक
चुनाव आयोग ने बिहार की 2003 की मतदाता सूची, जिसमें करीब 4.96 करोड़ मतदाता थे, को अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन अपलोड कर दिया है। इस सूची से मतदाताओं को पुराने रिकॉर्ड के रूप में दस्तावेजी साक्ष्य देने में मदद मिलेगी, ताकि वे अपना नाम सत्यापित कर सकें और नया गणना फॉर्म भर सकें। चुनाव आयोग ने कहा कि इससे करीब 60 फीसदी मतदाताओं को कोई अतिरिक्त दस्तावेज नहीं देना पड़ेगा, वे सिर्फ 2003 की सूची से अपना विवरण जांच कर फॉर्म भर सकते हैं।
पारिवारिक संबंधों में भी सुविधा
यदि कोई व्यक्ति 2003 की सूची में पंजीकृत नहीं है, लेकिन उसके माता-पिता उस सूची में हैं, तो वह व्यक्ति 2003 की मतदाता सूची का अर्क जिसमें उसके माता या पिता का नाम हो, दिखाकर आवेदन कर सकता है। ऐसे में माता-पिता को अलग से कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी, सिर्फ उस व्यक्ति को अपने दस्तावेज देने होंगे। चुनाव आयोग ने दोहराया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के तहत हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य है। आयोग पिछले 75 वर्षों से नियमित रूप से वार्षिक पुनरीक्षण कर रहा है, जिसमें गहन और संक्षिप्त समीक्षा शामिल है।