- बिहार: करीब 60% मतदाताओं को नहीं देने होंगे कोई अतिरिक्त दस्तावेज, विपक्ष के आरोपों के बीच चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

बिहार: करीब 60% मतदाताओं को नहीं देने होंगे कोई अतिरिक्त दस्तावेज, विपक्ष के आरोपों के बीच चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की समीक्षा पर विपक्ष के आरोप का चुनाव आयोग ने जवाब दिया है. चुनाव आयोग ने कहा है कि मतदाता सूची की समय-समय पर समीक्षा जरूरी है, ताकि नए मतदाता जुड़े और पुराने मतदाताओं की स्थिति स्पष्ट हो.

 बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा पर विपक्षी दलों की आपत्ति के बीच चुनाव आयोग ने सोमवार को स्पष्ट किया कि मतदाता सूची एक गतिशील सूची है, जो समय-समय पर बदलती रहती है, इसलिए इसकी नियमित समीक्षा अनिवार्य है. चुनाव आयोग ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 में प्रावधान है कि केवल भारतीय नागरिक, जो 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं और निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य निवासी हैं, मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकते हैं.भारत के निर्वाचन आयोग का विकास - डेली न्यूज़ एनालिसिस | Dhyeya IAS® - Best  UPSC IAS CSE Online Coaching | Best UPSC Coaching | Top IAS Coaching in  Delhi | Top CSE Coaching

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गहन समीक्षा क्यों जरूरी है? चुनाव आयोग ने बताया कि मतदाता सूची में लगातार बदलाव होते रहते हैं क्योंकि कई मतदाताओं की मृत्यु हो जाती है. कुछ लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाते हैं और नए युवा मतदाता 18 वर्ष पूरे करके मतदाता बनने के योग्य हो जाते हैं. इन कारणों से समय-समय पर मतदाता सूची को अपडेट करना जरूरी है, ताकि कोई अपात्र व्यक्ति इसमें शामिल न हो और कोई पात्र नागरिक छूट न जाए।

Election Commission If the government accepts this matter of EC, then a  person will be able to contest from only one seat चुनाव आयोग ने केंद्र  सरकार को भेजा है भेजा है

विपक्ष की आपत्ति और चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि इस तरह की गहन समीक्षा से राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करके जानबूझकर मतदाताओं को बाहर किया जा सकता है। इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया नियमों के अनुसार और पारदर्शिता के साथ की जाती है और इसका उद्देश्य किसी को बाहर करना नहीं, बल्कि सही और अपडेट सूची बनाना है।राज्यों के हालात पर चुनाव आयोग ने मांगी रिपोर्ट, फिर होगा इलेक्शन का फैसला  (एक्सक्लूसिव) | Election Commission sought report on the state of the  state, will again decide the ...


2003 बिहार मतदाता सूची सार्वजनिक

चुनाव आयोग ने बिहार की 2003 की मतदाता सूची, जिसमें करीब 4.96 करोड़ मतदाता थे, को अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन अपलोड कर दिया है। इस सूची से मतदाताओं को पुराने रिकॉर्ड के रूप में दस्तावेजी साक्ष्य देने में मदद मिलेगी, ताकि वे अपना नाम सत्यापित कर सकें और नया गणना फॉर्म भर सकें। चुनाव आयोग ने कहा कि इससे करीब 60 फीसदी मतदाताओं को कोई अतिरिक्त दस्तावेज नहीं देना पड़ेगा, वे सिर्फ 2003 की सूची से अपना विवरण जांच कर फॉर्म भर सकते हैं।

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पारिवारिक संबंधों में भी सुविधा

यदि कोई व्यक्ति 2003 की सूची में पंजीकृत नहीं है, लेकिन उसके माता-पिता उस सूची में हैं, तो वह व्यक्ति 2003 की मतदाता सूची का अर्क जिसमें उसके माता या पिता का नाम हो, दिखाकर आवेदन कर सकता है। ऐसे में माता-पिता को अलग से कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी, सिर्फ उस व्यक्ति को अपने दस्तावेज देने होंगे। चुनाव आयोग ने दोहराया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के तहत हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य है। आयोग पिछले 75 वर्षों से नियमित रूप से वार्षिक पुनरीक्षण कर रहा है, जिसमें गहन और संक्षिप्त समीक्षा शामिल है।

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