- कोलकाता लॉ कॉलेज में आतंक का दूसरा नाम था 'मैंगो', मनोज मिश्रा पर गैंगरेप का आरोप लगने से पहले ही महिलाओं में था डर का माहौल

कोलकाता लॉ कॉलेज में आतंक का दूसरा नाम था 'मैंगो', मनोज मिश्रा पर गैंगरेप का आरोप लगने से पहले ही महिलाओं में था डर का माहौल

मनोजीत का राजनीतिक प्रभाव ही उसकी असली ताकत थी। वह 2007 में कॉलेज में शामिल हुआ और फिर 2017 में फिर से दाखिला लिया, लेकिन दोनों बार अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया। 2017 में कॉलेज की आधिकारिक टीएमसीपी इकाई के भंग होने के बाद भी मनोजीत का प्रभाव कम नहीं हुआ। वह कॉलेज का व्हाट्सएप ग्रुप चलाता था, जिससे वह अपनी मर्जी से छात्रों को निकाल सकता था। 

नई दिल्ली। कोलकाता के एक प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज में पढ़ने वाले मनोजीत मिश्रा उर्फ ​​'मैंगो' पर गैंगरेप का गंभीर आरोप लगने से पहले ही कॉलेज की लड़कियां उसे उसके कानूनी ज्ञान से ज्यादा उसके दबदबे और डर के लिए जानती थीं। कॉलेज से जुड़े एक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि मनोजीत महिलाओं के निजी पलों को रिकॉर्ड करता था, उनकी तस्वीरों से छेड़छाड़ करता था और व्हाट्सएप ग्रुप में उनका मजाक उड़ाता था। South Calcutta Law College gang rape case: Who is Manojit Mishra, the main  accused? | South Calcutta Law College से 2022 में पासआउट, फिर भी था दबदबा!  गैंगरेप कांड के मेन आरोपी

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एक पूर्व छात्रा ने बताया, "वह महिलाओं के साथ निजी पलों को रिकॉर्ड करता था और दोस्तों को दिखाता था। वह और उसके दोस्त लड़कियों की तस्वीरें लेते और उन्हें ग्रुप में डालकर उनका मजाक उड़ाते थे।" कोई कार्रवाई नहीं हुई
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एक अन्य सूत्र के अनुसार, मनोजीत के खिलाफ छेड़छाड़, उत्पीड़न, मारपीट और यहां तक ​​कि ब्लैकमेलिंग की शिकायतें कॉलेज प्रशासन और पुलिस तक पहुंची थीं। सूत्र ने कहा, "पार्टी को भी सूचित किया गया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।"


दरअसल, मनोजीत की राजनीतिक पकड़ ही उसकी असली ताकत थी। उसने 2007 में कॉलेज ज्वाइन किया था और फिर 2017 में फिर से दाखिला लिया, लेकिन दोनों बार उसने अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की।

राजनीति से मिली ताकत

उसे 2021 में तृणमूल छात्र परिषद (TMCP) की कॉलेज इकाई से निकाल दिया गया था, लेकिन वह 2022 में गवर्निंग बॉडी से नियुक्ति पत्र लेकर अनुबंध कर्मचारी के रूप में कॉलेज में वापस आ गया। उसी साल उसने औपचारिक रूप से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और अलीपुर कोर्ट में वकालत शुरू कर दी।
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लड़कियों को निशाना बनाता था

2017 में कॉलेज की आधिकारिक TMCP इकाई भंग होने के बाद भी मनोजीत का प्रभाव कम नहीं हुआ। कहा जाता है कि वह बिना किसी आधिकारिक पद के कॉलेज में तानाशाही तरीके से काम करता था।

वह कॉलेज का व्हाट्सएप ग्रुप चलाता था, जहां से वह अपनी मर्जी से छात्रों को निकाल सकता था, स्टाफ रूम में मुफ्त पहुंच रखता था और अपनी मर्जी के मुताबिक कॉलेज के कार्यक्रम आयोजित करता था। छात्रों का कहना है कि उसका नेतृत्व डर और स्त्री-द्वेष से भरा हुआ था।

वह समाज में बदनाम था

कोलकाता के कालीघाट इलाके में रहने वाला मनोजीत अपने घर में अकेला रहता था। उसके पिता रॉबिन मिश्रा, जो एक स्थानीय पुजारी हैं, ने पांच साल पहले उससे सारे संबंध तोड़ लिए थे। दोनों एक ही गली में रहते हैं, लेकिन आपस में बात भी नहीं करते।

उसके पिता ने कहा, "अगर उसने गलत किया है, तो उसे सजा मिलनी चाहिए। पीड़िता भी किसी की बेटी है।" पड़ोसियों के मुताबिक, मनोजीत का व्यवहार आक्रामक और हिंसक था।

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