बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर विरोध तेज़ हो गया है, खासकर महागठबंधन के प्रमुख नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में। यह मामला सीधे तौर पर चुनाव आयोग के निर्णय पर सवाल उठाता है, जिसमें संशोधन और पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान कथित अनियमितताएँ और पक्षपाती व्यवहार होने की बात की जा रही है।
कांग्रेस और राजद कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस विशेष पुनरीक्षण से बिहार में चुनाव प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां मतदाता सूची में बदलाव से कुछ वर्गों का प्रतिनिधित्व प्रभावित हो सकता है। पप्पू यादव का भी विरोध इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने अपनी आवाज़ उठाते हुए चुनाव आयोग को आलोचना की है।
यह विरोध सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि एक सशक्त सामाजिक आंदोलन का रूप ले सकता है, यदि इसे सही तरीके से मुद्दों से जोड़ा जाए। इसके बावजूद, यह देखने वाली बात होगी कि चुनाव आयोग इस विरोध के संदर्भ में क्या कदम उठाता है और क्या वह अपनी प्रक्रिया में कोई सुधार करेगा।
आपको क्या लगता है, इस विरोध से बिहार के चुनावों पर क्या असर पड़ेगा?