यह घटना भारत की विमानन इतिहास की सबसे भयावह त्रासदियों में से एक बन गई है। एयर इंडिया की लंदन जाने वाली फ्लाइट एआई 171 अहमदाबाद से उड़ान भरने के तुरंत बाद नियंत्रण खो बैठी और बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्रावास भवन से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस भीषण हादसे में विमान में सवार सभी 241 लोग, जिनमें यात्री और चालक दल दोनों शामिल थे, और जमीन पर मौजूद 19 लोग मारे गए। कुल मिलाकर 260 लोगों की जान इस त्रासदी में चली गई।
हादसे के बाद एयर इंडिया ने संसद की **लोक लेखा समिति (PAC) के समक्ष यह दावा किया कि बोइंग ड्रीमलाइनर अब भी दुनिया के "सबसे सुरक्षित विमानों" में गिना जाता है। एयरलाइन ने यह भी बताया कि 1,000 से अधिक ड्रीमलाइनर विमान आज भी वैश्विक स्तर पर परिचालन में हैं। हालांकि, यह बयान पीड़ित परिवारों और आम जनता के बीच सवाल उठाने लगा है कि अगर यह विमान इतना सुरक्षित था, तो इतनी भीषण दुर्घटना आखिर कैसे हुई?
गौर करने वाली बात यह भी है कि PAC की जिस बैठक का उद्देश्य हवाईअड्डा शुल्क पर चर्चा करना था, वह इस त्रासदी के बाद अचानक विमानन सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्रित हो गई। यह दिखाता है कि इस हादसे ने सरकार और एयरलाइंस दोनों के लिए चेतावनी की घंटी बजा दी है।
इस हादसे ने न केवल तकनीकी जाँच की मांग तेज कर दी है, बल्कि भारत में हवाई यात्रा की सुरक्षा, पायलट प्रशिक्षण, एयर ट्रैफिक कंट्रोल की दक्षता और आपातकालीन प्रतिक्रिया जैसे मुद्दों को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं। ऐसे में एयर इंडिया का "सबसे सुरक्षित विमान" वाला दावा जनता के बीच विश्वसनीयता की परीक्षा से गुजर रहा है।
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